टिहरी।देहरादून। सूबे की सरकार और पर्यटन मंत्रालय द्वारा पर्यटन के विकास के लिए नित नये नये प्रयोग भले ही कोई नई बात न सही लेकिन टिहरी झील में कैबिनेट बैठक के आयोजन के लिए ढाई करोड़ मेें बनी जिस मरीन वोट का इस्तेमाल किया गया था। उसका झील में डूब जाना पर्यटन के विकास के लिए किये जाने वाले प्रयोगों की पोल खोलने के लिए काफी है।
सूबें की त्रिवेन्द्र सरकार और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने टिहरी झील को पर्यटकों के आर्कषण का केन्द्र बनाने के लिए अब तक न जाने कितनी योजनाए बनायी जाती रही है। पनडुब्बी से पर्यटकों को झील में डूबी पुरानी टिहरी के दर्शन कराने से लेकर सी प्लेन उतारे जाने तक अब तक कई ऐसी कल्पनाएं सरकार द्वारा की जाती रही है। इन योजनाओं को सुनकर ऐसा लगता रहा कि सूबे का पर्यटन अब बिना पंख के ही उड़ने लगेगा।। सूबे के पर्यटन को आर्युवैदिक पर्यटन बनाने, सैकड़ों नये टूरिस्ट डेस्टीनेशन विकसित करने, ओली में आइस स्क्रीनिंग खेलों का आयोजन करने तक न जाने और भी क्या क्या जिन्हे गिना पाना मुश्किल है। उसी कड़ी में सरकार द्वारा टिहरी झील को विश्व पर्यटन के नक्शे पर लाने के लिए वोट पर कैबिनेट की बैठक का आयोजन भी एक था। जिसके लिए ढाई करोड़ की लागत से मरीना वोट का निर्माण कराया गया था।
कैबिनेट की बैठक के बाद इस मरीना वोट को जो एक चलते फिरते (तैरते) रेस्टोरेंट के रूप में विकसित की गयी थी, का कोई उपयोग नहीं किया गया। इसके उपयोग को लेकर स्थानीय व्यवसाइयों द्वारा भी सरकार को कई बार चेताया गया। लेकिन शासन प्रशासन की लापरवाही के चलते इसका कोई इस्तेमाल नहीं हो सका और अब यह मरीना वोट जिस पर बैठ कर सूबे के माननीयों ने मौज मस्ती की थी, टिहरी झील में समा चुकी है और सरकार का ढाई करोड़ पानी में डूब गया है।