केंद्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री डा. सत्यपाल सिंह ने कहा- वह संस्कृत को द्वितीय नहीं बल्कि प्रथम राज्यभाषा के रूप में देखना चाहते हैं।

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देवप्रयाग (संवाददाता) : केंद्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री डा. सत्यपाल सिंह ने 92 करोड़ की लागत से बनने वाले राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के श्रीरघुनाथ कीर्ति परिसर की आधारशिला रखी। उन्होंने कहा कि वह उत्तराखंड मे संस्कृत को द्वितीय नहीं बल्कि प्रथम राज्यभाषा के रूप में देखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा के बढ़ावा देने के लिए 300 ऑनलाइन कोर्स शुरू किये जायेंगे।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डा.सिंह ने कहा कि देश की संस्कृति को बचाने के लिए संस्कृत को बचाना होगा, जिसने संस्कृत नहीं पढ़ी, वह आत्मतत्व को नहीं जान सकता। परिवार के संस्कारों को बचाने के लिए संस्कृत को पढ़ना-लिखना होगा। उन्होंने कहा की जो व्यक्ति संस्कृत जानता है, वह विश्व की सभी भाषाओं को जान सकता है क्योंकि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। आने वाला समय संस्कृत का होगा ये विश्वभाषा बनेगी। मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर रहे केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि संस्कृत पढ़ने वाला व्यक्ति आत्महत्या नहीं कर सकता क्योंकि वह दूसरों को जीवन की राह दिखाता है।

विधायक विनोद कंडारी द्वारा देवप्रयाग और कीर्तिनगर में केंद्रीय विद्यालय खोलने की मांग पर प्रदेश सरकार के प्रस्ताव भेजने की बात कही। अपने भाषणों के दौरान केंद्रीय मंत्री ने कई बार संस्कृत श्लोक भी कहे।उच्च शिक्षामंत्री स्वतंत्र प्रभार डा. धन सिंह रावत ने पहाड़ों में एनआईटी, डीम्ड विविद्यालय जैसे संस्थानों को खोलने की जरूरत बताई। स्थानीय जनता द्वारा परिसर को लेकर जो समस्याएं हैं, उनका शीघ्र समाधान किया जाएगा। देवप्रयाग विधायक विनोद कंडारी और पौड़ी विधायक मुकेश कोली ने केंद्रीय राज्यमंत्री संस्थान की आधारशिला रखने पर क्षेत्रीय जनता की ओर से आभार जताते हुए कहा कि आगामी वर्षो में ये परिसर देवप्रयाग की पहचान बनेगा।

इस मौके पर प्राचार्य प्रो. केबी सुब्बारायूदु सहित संस्थान स्टाफ व छात्र-छात्राओं ने केंद्रीय राज्य मंत्री का स्वागत किया। परिसर की और से प्रकाशित ग्रंथों और पत्रिकाओं का भी केंद्रीयराज्य मंत्री द्वारा भी लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय लोनिवि मुख्य अभियंता एससी भरतद्वाज, आरपी यादव, आरसी शर्मा, वास्तुकार एसएस रावत, डा. आर. बालमुर्गन, डा. मुकेश शर्मा डा. वीरेंद्र बत्र्वाल, डा. मनीष, डा. बनमाली, डा. शैलेन्द्र उनियाल, डा. अरविंद गौर, डा. प्रफ्फुल गढ़पाल सहित क्षेत्र के कई विद्यालयों के प्रधानाचार्य उपस्थित थे।

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