देवप्रयाग (टिहरी) : देवप्रयाग क्षेत्र स्थित सातवीं शताब्दी के ऐतिहासिक पलेठी सूर्य मंदिर समूह की सुध न लेने से ये मंदिर नष्ट होने की कगार पर हैं। राजकीय महाविद्यालय चंद्रवदनी नैखरी इतिहास विभाग के किए गए शैक्षिणिक भ्रमण के बाद यह बात सामने आई है।
ब्लॉक मुख्यालय हिंडोलाखाल के निकट वनगढ़ क्षेत्र के पलेठी में सातवीं सदी का सूर्य मंदिर समूह स्थित है। कोणार्क सूर्य मंदिर उड़ीसा के बाद उत्तराखंड में पलेठी व कटारमल सूर्य मंदिर ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माने जाते हैं। कालसी के बाद पलेठी के शिलालेख उत्तराखंड के इतिहास में स्थान रखते हैं।
राजकीय महाविद्यालय चंद्रवदनी इतिहास विभाग अध्यक्ष डॉ. प्रवीन जोशी की अगुआई में यहां छात्र-छात्राओ ने जब भ्रमण किया गया तो यहां प्राचीन मंदिर समूह घास फूस से भरा मिला। यहो आदिवर्मन व कल्याण वर्मन आदि का शिला लेख भी उल्टा पड़ा था। रखरखाव के अभाव में गणेश और पार्वती मंदिर ध्वस्त हो चुके हैं। जबकि सूर्य गंगा यमुना पार्वती गणेश की मूर्तियां खुले में हैं।
विभागाध्यक्ष डॉ. प्रवीन जोशी के अनुसार पुरातत्व विभाग से संरक्षित यहां के चार मंदिरों में सूर्य व शिव के मंदिर ही कुछ ठीक स्थिति में हैं। बाकि दो मंदिर पूरी तरह ध्वस्त हो चुके है। अद्भुत शिल्प व कला को संजोये एतिहासिक सूर्य मंदिर की सुध न लिए जाने पर शैक्षणिक दल ने आश्चर्य भी जताया।
दल में शामिल छात्र-छात्राओं ने परिसर में सफाई अभियान चलाकर मंदिरों के आसपास व ऊपर उगी घास को हटाया। साथ ही पुरातत्व विभाग व सरकार से यहां सरंक्षण को समुचित व्यवस्था बनाए जाने की मांग भी की।