रुद्रपुर। कोरोना संक्रमण के मामले जैसे-जैसे बढ़ रहे हैं वैसे ही कुछ लोगों में मानवीय संवेदना भी खत्म होती जा रही है। यह मामला जिला अस्पताल में देखने को मिला। कोविड संक्रमित की मौत के बाद सफाई कर्मचारियों ने शव एंबुलेंस में रखने के लिए हजारों रुपये ले लिए। वहीं, पोस्टमार्टम हाउस में शव घर ले जाने के लिए कर्मियों ने स्वजनों से 36 हजार रुपये की मांग की। पीडि़त ने इसकी शिकायत पीएमएस से की है। पीएमएस ने मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है।
दिनेशपुर के एक युवक की बीते सप्ताह अचानक तबीयत खराब हो गई। स्वजनों ने उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। मौत के बाद स्वजनों ने शव को मोर्चरी में ले जाने के लिए एंबुलेंस बुलाया। एंबुलेंस में शव रखने के लिए सफाई कर्मचारियों ने मोटी रकम ले ली। इसके बाद स्वजन शव को मोर्चरी ले गए। जहां पोस्टमार्टम किया गया। स्वजनों का आरोप है कि पोस्टमार्टम के बाद वहां सफाई कर्मचारियों और दूसरे स्टाफ ने शव को घर ले जाने के लिए 36 हजार रुपये की मांग की। स्वजनों ने इतनी मोटी रकम देने से इन्कार कर दिया। इसके बाद शव का कोविड गाइड लाइन के अनुसार अंतिम संस्कार किया गया। इसके बाद स्वजनों ने मामले की शिकायत पीएमएस जिला अस्पताल डा. रवींद्र सिंह सामंत से की। शिकायत मिलने के बाद उन्होंने पांच सदस्यीय जांच कमेटी बना दी।
पांच सदस्यीय जांच कमेटी गठित
जांच कमेटी में मेडिकल कालेज के कोविड प्रभारी डा. आरके सिन्हा, नागेंद्र चौधरी, डा. यतेंद्र सिंह बृजवाल, डा. पीसी पंत व एक अन्य डाक्टर को शामिल किया गया है।
कर्मियों की मनमानी
कोरोना संक्रमण से मौत होने के बाद स्वजन अस्पताल से मोर्चरी और फिर दाह संस्कार तक उत्पीडऩ का शिकार हो रहे हैं। इसे सिस्टम की लापरवाही कहे या कर्मियों की मनमानी। कर्मियों की इस मनमानी पर अस्पताल प्रबंधन लगाम नहीं कस पा रहा है। पीएमएस डॉ. रविंद सिंह सामंत ने बताया कि आरोपों की जांच के लिए कमेटी बना दी गई है। जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी।