रुद्रपुर : रामपुर से काठगोदाम तक कुल 93 किलोमीटर का नेशनल हाईवे पांच साल से हिचकोले खा रहा है। रामपुर की ओर 80 फीसद काम पूरा कर लेने के दावे के बीच अभी कई हिस्सों में काम अधूरा पड़ा है। 1100 करोड़ की योजना में आठ सौ करोड़ खर्च हो चुका है। रुद्रपुर से काठगोदाम के बीच सड़क की बदहाली वाहन ही नहीं यात्रियों के पुर्जे भी ढीले कर रही है।
रामपुर-काठगोदाम हाईवे (एनएच-87) का निर्माण सद्भाव कंपनी के पास है। 1100 करोड़ के प्रोजेक्ट में पांच साल में करीब 800 करोड़ रुपये से अधिक का बजट खर्च हो चुका है। रामपुर से चले मेगा प्रोजेक्ट में पिछले साल 80 फीसद काम पूरा करने का दावा किया गया। इधर, रुद्रपुर की ओर डेढ़ वर्ष पहले सरदार भगत सिंह महाविद्यालय से सोनिया होटल तक अभी सिर्फ एक लेन की सीसी हो सकी है। दूसरी लेन का काम अभी होना है।
इसी बीच कोरोना संक्रमण के बाद से छाई सुस्ती भी अब तक नहीं टूट सकी है। डीएम रंजना राजगुरु ने एनएचएआइ से कार्य शुरू कराने के लिए सख्ती दिखाई लेकिन कंपनी की तरफ से बजट न होने का बहाना बनाकर हाथ खड़े कर दिए गए। जब सितंबर में दिल्ली में एनएचएआइ की बैठक में सख्ती दिखाई गई तो निर्माण कंपनी ने 17 सितंबर तक कार्य शुरू कर लेने का आश्वासन दिया।
जनता के सपनों पर लगा ग्रहण
रुद्रपुर से पंतनगर, लालकुंआ व हल्द्वानी होते हुए काठगोदाम तक फर्राटा भरकर जाने के सपने देख रही जनता लेटलतीफी से निराश है। रुद्रपुर में जिला अस्पताल के आगे पेट्रोल पंप के पास से एनएच-87 के दोनों ओर लेन तैयार है। सिडकुल से आगे दिनेशपुर मोड़ तिराहे से हल्द्वानी मोड़ तक कार्य अधूरा पड़ा है। उसके आगे ओवरब्रिज भी बीते तीन वर्ष से निर्माणाणीन है। पंतनगर से लालकुंआ और फिर हल्द्वानी तक बीच में कई जगह निर्माण अधूरा है।
सात लाख घनमीटर मिट्टी की जरूरत
कोरोना संक्रमण से उबरने पर निर्माण कंपनी ने कार्य शुरू कराने के लिए डीएम को पत्र लिखा। कई जगह भरान कराने के सात लाख घनमीटर मिट्टी की जरूरत बताई गई। इसकी व्यवस्था करने में कंपनी को पसीने छूट गए।
स्थानीय विधायक ने आंदोलन की बात कही
एनएच-87 के निर्माण को लेकर और पूर्व में अतिक्रमण हटाने के लिए शुरू होने वाली कवायद पर विरोध दर्ज कराने वाले विधायक राजकुमार ठुकराल का कहना था कि निर्माण अब तक पूरा हो जाना चाहिए था। एनएचएआइ अधिकारियों व निर्माण कंपनी की तरफ से सुस्त रवैया अपनाया जा रहा है। विधायक ने कहा वह इसके खिलाफ जल्द ही जनांदोलन चलाएंगे।
बजट की कमी का बहाना अब निर्माण कंपनी का चलने वाला नहीं है। बैठक में साफ कह दिया गया है कि दूसरी कंपनी को तलाशकर अधूरा कार्य जल्द से जल्द पूरा कराएं। इसके लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है। इसके बाद यदि कार्य शुरू नहीं हुआ तो कार्रवाई की जाएगी।
– योगेंद्र कुमार शर्मा, प्रोजेक्ट डायरेक्टर एनएचएआइ
एनएचएआइ से बजट की मांग की गई है। अब तक उसकी तरफ से 16 फीसद बजट दिया गया है। कुल प्रोजेक्ट का करीब 40 फीसद बजट एनएचएआइ को देना है। निर्माण लागत दिनों दिन बढ़ती जा रही है। बीच में कोरोना संक्रमण से भी काफी फर्क पड़ा। कोशिश यही है कि 17 सितंबर तक कार्य शुरू हो जाएगा।
– पारथा ससमाल, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, सद्भाव कंपनी