रुद्रप़ुर : अल्मोड़ा की बेटी हेमा भट्ट ने पहाड़ की महिलाओं के जज्बे और संघर्ष को न सिर्फ करीब देखा बल्कि उसे आत्मसात कर कुछ करने की ठानी। पशुओं के लिए चारे का बोझ और लकडि़यों का गट्ठर सिर पर रखकर महिलाओं को पहाड़ चढ़ते देख उसने महसूस किया कि हम कहीं से भी पुरुषों के बनिस्बत कमजोर नहीं हैं। सबकुछ अभ्यास पर निर्भर है। इसी सोच के साथ हेमा ने अपनी पहचान बनाने और बेटियों के लिए कुछ करने की ठानी। वह पिछले आठ सालों से पंतनगर में बेटियों को निश्शुल्क सेल्फ डिफेंस और मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण दे रही है और खुद कराटे में ब्लैक बेल्ट है।
मूल रूप से अल्मोड़ा जिले की जागेश्वर निवासी हेमा भट्ट पंतनगर में रहकर तराई की आधी आबादी को शारीरिक मजबूती करने की मुहिम चला रही हैं। हेमा के पिता उमेश भट्ट रेलवे से सेवानिवृत्त हैं, जबकि मां गृहिणी। पहाड़ में सुविधाओं के अभाव के चलते हेमा ने पहले खुद को शिक्षित बनाया और यूपी में प्रशिक्षण लिया। मार्शल आर्ट, जु-जित्सु और कराटे में कई पदक जीतने के बाद उन्होंने बेटियों के लिए कुछ करने की ठानी। कराटे में ब्लैक बेल्ट हेमा ने बेटियों को निश्शुल्क प्रशिक्षण के लिए स्कूलों से संपर्क करना शुरू किया। बालिका इंटर कालेज समेत शहर के कई एकेडमी की छात्राओं ने उन्हें ज्वाइन किया। इसके साथ ही हेमा ने कई स्थानों पर कैंप लगाना बेटियों से संपर्क करना शुरू किया और उनकी मुहिम आगे बढ़ती चली गई।
हेमा से प्रशिक्षण लेने के बाद कई खिलाड़ियों ने विभिन्न प्रतिस्पर्धाओं में मेडल अर्जित किए। वर्तमान में वह करीब 200 बालिकाओं को प्रशिक्षण दे रही हैं। जबकि बीते आठ साल में करीब चार हजार से अधिक बेटियों को कराटे, मार्शल आर्ट में पारंगत कर चुकी हैं। हेमा का लक्ष्य एक लाख बेटियों को सेल्फ डिफेंस का प्रशिक्षण देना है। हेमा अब तक दो नेशनल कराटे में, एक नेशन जुजित्सु में व कई राज्य स्तरीय प्रतिस्पर्धाओं में मेडल जीत चुकी हैं। भीड़ इकठ्ठा न हो हेमा ने कई बैच बना दिया है। सुबह शाम की बैच में वह बेटियों को प्रशिक्षण देती हैं। खुद जिला जुजित्सु की जिला अध्यक्ष पद भी संभाल रही हैं।
एक लाख बेटियों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य
हेमा ने अब तक चार हजार से अधिक बेटियों को निश्शुल्क प्रशिक्षण दिया है। जबकि कुल आठ हजार से अधिक लोग प्रशिक्षण ले चुके हैं। हेमा का लक्ष्य है कि एक लाख बेटियों को प्रशिक्षण दें, ताकि भविष्य वह आत्मरक्षा के लिए दूसरे पर निर्भर न रहें। हेमा प्रशिक्षण लेने वाली और प्रशिक्षण पूरा चुकी बेटियों को दूसरों को भी प्रेरित करने के लिए अपील करती हैं, जिससे अपनी मुहिम को विस्तार दे सकें। उनके अथक प्रयासों का ही नतीजा है कि वह अपने मिशन में लगातार आगे बढ़ रही हैं।