उम्मीदवारों की घोषणा को लेकर सियासी दल आचार सहिता का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन दावेदारों ने खुद की स्थिति को सबसे मजबूत मान प्रचार शुरू कर रखा है। गली-मोहल्ले की सभाओं के अलावा घर-घर बैठकों का दौर भी जारी है।
बात अगर मतदाताओं के मिजाज की करें तो पिछले चुनाव में कुमाऊं में 24299 लोगों ने नोटा का बटन दबाया था। कुमाऊं मंडल में विधानसभा की 29 सीटें हैं। यानी औसतन हर सीट पर 837 लोगों ने भाजपा, कांग्रेस, उत्तराखंड क्रांति दल, बसपा और निर्दलीयों उम्मीदवारों को नापसंद कर दिया। इन लोगों को कोई भी उम्मीदवार नहीं भाया।
उत्तराखंड के चुनाव में हर चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला रहता है। पिछले चुनाव में मोदी लहर ने कांग्रेस को सत्ता से उखाडऩे के साथ बाकी दलों को भी हाशिये में धकेल दिया था। हालांकि, इस बार आम आदमी पार्टी का चुनाव प्रचार भी काफी तेज गति से चल रहा है। परिणाम के बाद ही खुद को विकल्प बताने वाली आप के प्रदर्शन का सटीक अनुमान लग पाएगा। वहीं, नोटा को लेकर 2022 की स्थिति का अनुमान अभी नहीं हो सकता। हालांकि, प्रत्याशियों के चेहरे तय होने के बाद वोटर अपने रूझान दे सकते हैं।
विधानसभा सीटों के लिहाज से ऊधमसिंह नगर में सबसे ज्यादा नौ सीट है। इसलिए नोटा दबाने वालों की संख्या यहां सबसे ज्यादा 5948 थी। दूसरे नंबर पर नैनीताल जिला रहा। यहां कुल 5739 लोगों ने किसी भी उम्मीदवार को लेकर सहमति नहीं दी। बागेश्वर विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा 1541 और काशीपुर में सबसे कम 206 लोगों ने नोट का इस्तेमाल किया।