कोरोना काल में स्वास्थ्य सेवाओं में अहम भूमिका निभाने वाले जिले के 170 योद्धाओं को 28 फरवरी को सेवा मुक्त कर दिया जाएगा। हैरानी की बात है कि कांट्रेक्ट पर रखे गए इन योद्धाओं में से 50 से अधिक एएनएम को जुलाई 2020 से वेतन नहीं मिला है। इसके बावजूद एएनएम लगातार मानव सेवा के लिए तत्पर रहीं। सेवा मुक्त होने से अब कर्मचारियों को वेतन नहीं मिलने का डर सता रहा है।
कोरोना संक्रमण के चलते 23 मार्च को देश में लॉकडाउन घोषित कर दिया गया था। ऐसे में कोरोना योद्धा बनकर स्वास्थ्य कर्मियों ने ड्यूटी कर अपने कर्तव्यों का पालन किया। ड्यूटी के दौरान कई स्वास्थ्य कर्मचारी खुद भी कोरोना की चपेट में आ गए थे। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और स्वस्थ होने के बाद फिर से मानव सेवा में तत्परता से जुट गए थे।
कोरोना काल में स्वास्थ्य कर्मियों की कमी होने पर 170 स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना संक्रमितों के इलाज और उनकी सेवाओं के लिए नियुक्त किया गया था। इन कर्मचारियों को 28 फरवरी को सेवा मुक्त करने की तैयारी स्वास्थ्य महकमे ने अंदरखाने शुरू कर दी है। ऐसे में कर्मचारी अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं।
उनका कहना है कि आपदा के समय उनका इस्तेमाल कर अब सरकार उनकी उपेक्षा कर रही है। हद तो यह है कि एएनएम को आठ माह से वेतन तक नहीं दिया गया है। बताया जा रहा है कि स्वास्थ्य विभाग ने एनएचएम योजना से वेतन के लिए जिला प्रशासन को पत्र भेजा है।