हेड मास्टर कर रहे कोरोना संक्रमितों के शवों का अंतिम संस्कार, उठाया मानव सेवा का बीड़ा

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रुद्रपुर। शिक्षक को हमेशा स्कूलों में बच्चों को पढ़ाते हुए देखा होगा लेकिन रुद्रपुर के एक हेड मास्टर स्कूल बंद होने पर मानवता का फर्ज निभा रहे हैं। श्मशान घाट में अपनी टीम के साथ मिलकर वह कोरोना संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। अब तक वह 20 शवों को अंतिम संस्कार टीम के साथ मिलकर कर चुके हैं।

रुद्रपुर के सिटी वन कॉलोनी निवासी अरुण चुघ राजकीय प्राथमिक विद्यालय मोतीपुर में हेड मास्टर हैं। शहीद भगत सिंह सेवा दल के साथ मिलकर वह किच्छा रोड स्थित श्मशान घाट में पहुंचकर कोरोना संक्रमितों के शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। चुघ ने बताया कि कोरोना काल में खाना तो सभी लोग बांट रहे हैं। उनके मन में ख्याल आया कि कोरोना संक्रमितों का अंतिम संस्कार करने में कई बार परिजन भी नहीं पहुंचते, इसलिए यह काम किया जाए।

शहीद भगत सिंह सेवा दल टीम के साथ मिलकर वह कोरोना संक्रमितों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। किच्छा हाईवे स्थित श्मशान घाट में वह अपनी टीम के साथ सुबह सात बजे पहुंच जाते हैं और शाम को आठ बजे घर जाते हैं।

27 बार कर चुके हैं रक्तदान
पिछले 15 दिनों से वह अपने घर में अलग कमरे में रहते हैं ताकि संक्रमित हो जाएं तो परिजनों को बचा सकें। हेड मास्टर को पीपीई किट में देखकर कोई नहीं पहचानता है। लोगों को लगता है कि नगर निगम के कर्मी सेवा में लगे हैं। उनकी टीम में सोनू विर्क व नरेश भी शामिल हैं। 

हेड मास्टर अरुण चुघ किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उनका कहना है कि एक बार खून नहीं मिलने पर उनके किसी परिचित की मौत हो गई। उसी दिन उन्होंने तय कर लिया था कि जब खून देने की बारी आएगी वह पीछे नहीं हटेंगे। साल में तीन बार वह रक्तदान कर रहे हैं। अभी तक 27 बार वह रक्तदान कर चुके हैं।

ऑनलाइन कराते हैं पढ़ाई 

चुघ ने बताया कि वह पिछले तीन दिन से ऑनलाइन कक्षा नहीं ले पा रहे हैं। श्मशान घाट में कोरोना संक्रमितों के शवों के पहुंचने में इजाफा हो रहा है। उन्हें जब भी समय मिलता है वह बच्चों के परिजनों को मैसेज भेजकर ऑनलाइन कक्षा का समय बता देते हैं। बच्चे भी उनकी क्लास पढ़ने के लिए जुड़ जाते हैं।

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