22 किलोमीटर उल्टी दौड़ी जनशताब्दी एक्सप्रेस को पत्थरों से रोका, आधे घंटे तक अटकी रही यात्रियों की सांसें

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दिल्ली से टनकपुर रेलवे स्टेशन के समीप पहुंची पूर्णागिरि जनशताब्दी एक्सप्रेस तकनीकी खामियों के कारण उल्टी दौड़ पड़ी। इससे ट्रेन में सवार यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई। खटीमा चकरपुर के बीच अमांऊ में रेलवे ट्रैक पर पत्थर डालकर किसी तरह कर्मचारी ट्रेन रोकने में सफल रहे। हालांकि ट्रेन में सवार सभी यात्री सुरक्षित हैं।

दिल्ली से टनकपुर के लिए चली पूर्णागिरी जन शताब्दी एक्सप्रेस में 10 बोगियां हैं। इनमें दो ऐसी और आठ जनरल थी। बुधवार को ट्रेन में 50 से 60 सवारियां बैठी थी। 22 किलोमीटर उल्टी दौड़ने के बाद रुकी ट्रेन से जब ये यात्री उतरे तो वे सुरक्षित होने पर शुक्र मनाते रहे, लेकिन उनके चेहरों पर बड़ा हादसा टलने का खौफ भी नजर आया।

यात्रियों ने बताया कि ट्रेन लौटी तो पहले तो कुछ समझ नहीं आया। शुरुआत में एक झटका सा लगा था, जिसे सभी सामान्य मान रहे थे। लेकिन जब ट्रेन उल्टी दिशा में चलने लगी और कुछ ही सेकंड में इसकी रफ्तार काफी तेज हो गयी, तब लगने लगा कि कुछ तो गलत हो रहा है। इसी बीच रेलवे अधिकारी उन्हें एक ही बोगी में एकत्रित होने के लिए कहने लगे। इसके बाद पता चला कि ट्रेन के ब्रेक काम नहीं कर रहे हैं और ट्रेन उल्टी दिशा में दौड़ रही है.

यात्रियों ने बताया कि इससे बोगियों में खलबली मच गयी। यात्रियों ने अपने बच्चों को कस के पकड़ लिया। इस दौरान लगातार कई बार चेन पुलिंग की कोशिश भी की गयी, लेकिन बात नहीं बनी। इस दौरान करीब आधे घंटे तक यात्री सुरक्षित उतरने की दुआएं मांगते रहे। ट्रेन से उतरने के बाद यात्री मां पूर्णागिरी मां का धन्यवाद कर रहे थे।

हैंडब्रेक से गति धीरे-धीरे नियंत्रित की
खटीमा। पूर्णागिरि जनशताब्दी एक्सप्रेस के पायलट आरसी प्रसाद ने बताया कि ट्रेन टनकपुर स्टेशन पहुंचने वाली थी। इसी बीच होम सिग्नल के पास मवेशी के टकराने से ट्रेन का ब्रेक पाइप, फ्यूल पाइप टूट गया। इसके बाद ट्रेन पीछे की ओर दौड़ने लगी। बताया कि पाइप टूटने से ब्रेक ने काम करना बंद कर दिया। प्रसाद ने बताया कि उन्होंने हैंडब्रेक खींचकर किसी तरह रेल की गति को धीरे-धीरे नियंत्रित किया, जिसके बाद ट्रेन करीब 22 किलोमीटर दूर नदन्ना नहर पुलिया और घोसीकुआं फाटक के बीच आकर रुक गयी। ट्रेन के गार्ड विक्रम चौहान ने बताया कि बताया कि टनकपुर से एक किलोमीटर पहले 44 नंबर गेट से वापस आई है। इसमें कोई दुर्घटना नहीं घटी है।

कई चलती ट्रेन से कूदे
कई स्टेशन पार करने के बाद भी ट्रेन नहीं रुकने पर बड़े खतरे का अंदेशा जान यात्रियों ने चेन खींचकर रेल रोकने की कोशिश भी की। बावजूद इसके उन्हें सफलता नहीं मिल पाई। बताया जा रहा है कि जान का खतरा भांपते हुए कई यात्री रिवर्स में चल रही ट्रेन से कूद गए थे। बताया जा रहा है कि चलती ट्रेन से कूदकर कई यात्री चोटिल भी हुए। हालांकि स्थानीय अधिकारियों  के पास अब तक इस बात की जानकारी भी नहीं है कि ट्रेन में टनकपुर के कितने यात्री थे। अधिकारियों का कहना है कि उनके पास यहां से जाने वाले यात्रियों की संख्या ही रहती है। आने वाले यात्रियों की संख्या उन्हें मालूम नहीं हैं।

जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम बनी
खटीमा। दुर्घटना की जांच के लिये विभाग ने तीन सदस्यीय टीम का गठन कर लिया है। अधिकारियों ने बताया कि दोषी पाये जाने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी। इज्जतनगर मंडल के पीआरओ राजेंद्र सिंह ने बताया कि मवेशी के टकराने के बाद ट्रेन उल्टी दौड़ गयी थी। 22 किलोमीटर बाद इसे रोका जा सका। यात्रियों को सुरक्षित सड़क मार्ग से भेजा गया है। हादसे की जांच के लिये टीम बना दी है।

देर शाम ट्रेन खटीमा स्टेशन पहुंची
खटीमा के स्टेशन मास्टर के. लाल ने बताया कि शाम करीब सात बजे पीलीभीत से पहुंचे इंजन की मदद से ट्रेन को खटीमा स्टेशन पहुंचा दिया गया है। यहां से इंजन बदलकर ट्रेन को टनकपुर भेजने की तैयारी है।

एहतियातन बंद करवाये गये रेलवे फाटक
खटीमा स्टेशन मास्टर के लाल ने बताया कि ट्रेन के उल्टी दिशा में आने की जानकारी मिलते ही उन्होंने अपने क्षेत्र में आने वाले 20 रेलवे फाटक तुरंत बंद करवा दिये थे। मझोला स्टेशन मास्टर ने भी अपने क्षेत्र के फाटकों को बंद करवा दिया। वहीं, बनबसा तक के रेलवे फाटक बंद कर दिये गये थे। ट्रेन के सुरक्षित रुकने की सूचना के बाद ही इन्हें खोला गया।

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