खगोलीय घटनाओं के शौकीनों के लिए 26 मई का दिन बेहद खास होगा। लोग चंद्रग्रहण और सुपर मून दोनों खगोलीय घटनाएं एक साथ देख पाएंगे। बुधवार को चांद सफेद की बजाय सुर्ख लाल रंग का नजर आएगा। सात फीसदी बड़ा और 30 फीसदी अधिक सुर्ख रोशनी बिखेरता चांद सुपर ब्लड मून कहलाएगा। चंद्रग्रहण की शुरुआत दोपहर 2:17 मिनट से शुरू होकर 7:19 मिनट तक रहेगी। इसी दौरान सुपर ब्लड मून की घटना को शाम 6:49 मिनट पर 35 मिनट तक देखा जा सकेगा। हालांकि भारत से सुपर मून आंशिक रूप से नजर आएगा लेकिन पश्चिमी-दक्षिण अमरीका, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण-पूर्वी एशिया आदि देशों में लोग पूर्ण चंद्रग्रहण देख पाएंगे, लेकिन भारत में केवल उपच्छाया चंद्रग्रहण ही नजर आएगा। पिछले सुपर ब्लड मून और चंद्रग्रहण की घटना 21 जनवरी 2019 हुई थी। वहीं अगली बार यह घटना 16 मई 2022 को घटित होगी।
चंद्रग्रहण के समय पृथ्वी की छाया के कारण चंद्रमा धरती से काला नजर आता है। इस दौरान चंद सेकेंड के लिए चंद्रमा लाल भी दिखाई देगा। यह तब होता है, जब सूर्य की रोशनी परिवर्तित होकर चंद्रमा तक जाती है।परावर्तन के नियम के अनुसार जिस रंग से टकराकर प्रकाश की किरण हमारी आंखों तक पहुंचती है, हमें वस्तु उसी रंग की नजर आती है। सबसे लंबी वेवलेंथ लाल रंग की होती है।यही वेवलेंथ सबसे पहले चांद तक पहुंचती है, इसलिए हमें चंद्रमा लाल नजर आता है। इस दौरान पृथ्वी के निकट आने के चलते चंद्रमा अन्य दिनों के मुकाबले बड़ा दिखता है।बता दें कि पृथ्वी की चंद्रमा से दूरी 384400 किलोमीटर मानी जाती है और चंद्रमा के पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूर होने पर यह दूरी लगभग 405696 किलोमीटर मानी जाती है। इस स्थिति को अपोगी कहते हैं। इसके ठीक विपरीत चंद्रमा के पृथ्वी के सबसे ज्यादा करीब होने की स्थिति को पेरिगी कहते हैं।इसमें पृथ्वी और चंद्रमा की बीच की दूरी लगभग 357000 किलोमीटर रह जाती है। यदि चंद्रमा के पेरिगी की स्थिति में पूर्णिमा पड़ती है तो सुपरमून दिखाई देता है। वर्ष में न्यूनतम 12 पूर्णिमा पड़ती हैं। कभी-कभी 13 पूर्णिमा भी होती हैं, मगर ऐसा कम ही होता है कि पेरिगी की स्थिति में पूर्णिमा भी पड़े।