उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि, देव संस्कृति विवि में किया दक्षिण एशियाई शांति व सुलह संस्थान का उद्घाटन

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हरिद्वार। शनिवार को देव संस्कृति विश्वविद्यालय परिसर में स्थापित एशिया के प्रथम बाल्टिक सेंटर का उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने निरीक्षण किया और देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर शहीदों के याद में बने शौर्य दीवार पर भी पुष्पांजलि अर्पित की।

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश समेत अनेक ने अपनी मातृभाषा में अध्ययन कर ऊंचाईयों को प्राप्त किया है। भारत में विविधता ही यहां की विशेषता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के दिव्य प्रकाश में ही व्यक्ति समाज के प्रति जिम्मेदार नागरिक बन पाता है। उन्होंने मां, मातृभाषा और मातृभूमि को सदैव आत्मा से जोड़े रहने के लिए प्रेरित किया।

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू शनिवार को देव संस्कृति विश्वविद्यालय परिसर में दक्षिण एशियाई शांति एवं सुलह संस्थान का उद्घाटन करने के लिए पहुंचे थे। उन्होंने विवि में स्थापित एशिया के प्रथम बाल्टिक सेंटर का निरीक्षण किया और देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर शहीदों के याद में बने शौर्य दीवार पर भी पुष्पांजलि अर्पित की।

उन्होंने दक्षिण एशियाई शांति और सुलह संस्थान का उद्घाटन करने के दौरान कहा कि संस्थान दक्षिण एशियाई देशों के बीच तमाम राजनीतिक चुनौतियों के मद्देनजर क्षेत्रीय स्थिरता और आपसी सकारात्मक व्यवहार की स्थापना को प्रेरित करता रहेगा। विवि में इस संस्थान की स्थापना को उपराष्ट्रपति ने इस क्षेत्र का मील का पत्थर जैसा बताया।

उन्होंने कहा कि शिक्षा का भारतीयकरण नई शिक्षा नीति का मूल उद्देश्य है। देव संस्कृति विवि की शिक्षा प्रकृति और संस्कृति का अच्छा संयोजन है। उपराष्ट्रपति ने भारतीय संस्कृति के उत्थान में जुटे गायत्री परिवार और देव संस्कृति विवि के कार्यों की सराहना की।

प्रदेश के राज्यपाल लेज (सेनि.) गुरमीत सिंह ने कहा कि देसंविवि उन्हें एक मंदिर जैसा लगता है। भारतीय संस्कृति पर जो वैज्ञानिक तरीके से शोध हो रहा है। उसका नेतृत्व देव संस्कृति विवि करेगा। ऐसा उन्हें पूर्ण विश्वास है। शांति प्रेम और खुशहाली के लिए कार्य करेगा। उन्होंने कहा जिस तरह पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने शांति एवं सौहार्द के लिए कार्य किया है।

उसे यह सेंटर आगे बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति को गहराई से जानने के लिए संस्कृत भाषा का ज्ञान होना आवश्यक है। यह अपने जड़ों से जोड़ती है। प्रतिकुलपति डा. चिन्मय पंड्या ने कहा कि भारतीय परंपरा शांति, समरता और सौहार्द की रही है। इसी कार्य को इस संस्थान के माध्यम से और आगे बढ़ाएंगे। इसी क्रम में वेदों और उपनिषदों के सार को भी विश्वभर में फैलाएंगे। इस मौके पर कुलपति शरद पारधी, प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या आदि मौजूद रहे।

उप राष्ट्रपति ने वेबसाइट व पुस्तक का किया विमोचन
उपराष्ट्रपति ने देसंविवि के नवीनतम वेबसाइट और प्रज्ञायोग प्रोटोकॉल एवं उत्सर्ग पुस्तक का विमोचन भी किया। इस अवसर पर शांतिकुंज एवं देसंविवि परिवार के अलावा अनेक प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे। उपराष्ट्रपति ने प्रज्ञेश्वर महादेव का पूजन कर विश्व शांति, राष्ट्र की सुख एवं उन्नति की कामना की। उन्होंने प्रज्ञेश्वर महादेव मंदिर में रुद्राक्ष के पौधे का रोपण कर पर्यावरण संतुलन के लिए संदेश दिया।

डा. पंड्या से की चर्चा
अपने प्रवास के दौरान उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और राज्यपाल लेज (सेनि.) गुरमीत सिंह ने अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या व शैलदीदी से भेंट कर विभिन्न विषयों पर चर्चा की। शैलदीदी ने कहा कि यह आपका अपना गुरुद्वारा है। इस इस अवसर पर उन्होंने 1926 से सतत प्रज्ज्वलित सिद्ध अखंड दीप का दर्शन कर विश्व शांति के लिए प्रार्थना की।

 

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