प्रदेश प्रभारी भी रहेंगे साथ, बड़े नेताओं को आमने-सामने बैठाकर की जाएगी बात प्रदेश में अगले छह माह बाद होने वाले निकाय चुनाव और अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी के भीतर मचे घमासान को शांत करना चाहती है। पार्टी के भीतर की गुटबाजी अब खुलकर सामने आने लगी है।
इसको दुरूस्त करने के लिए पार्टी हाईकमान की ओर से वरिष्ठ कांग्रेस नेता व सीडब्ल्यूसी के सदस्य पीएल पुनिया को पर्यवेक्षक बनाकर उत्तराखंड भेजा जा रहा है। पुनिया शनिवार को (आज) तीन दिवसीय दौरे पर उत्तराखंड पहुंचेंगे। इस दौरान प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव भी उनके साथ मौजूद रहेंगे।
प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक करेंगे
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बीच शुरू हुई बयानबाजी लगातार जारी है। इस संबंध में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने पार्टी हाईकमान तक यह बात पहुंचाई थी। उनकी बात का संज्ञान लेते हुए पार्टी ने किसी वरिष्ठ नेता को पर्यवेक्षक बनाकर उत्तराखंड भेजने का फैसला लिया था।
पुनिया का कोई आधिकारिक कार्यक्रम तो जारी नहीं किया गया है, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने उनके आने की पुष्टि की है। पुनिया शनिवार शाम जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचेंगे, जहां से वह सीधे हरिद्वार चले जाएंगे। वहां गंगा आरती में भाग लेेने के बाद देर शाम देहरादून आएंगे। रविवार को पीसीसी में प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक करेंगे।
नेताओं को देहरादून बुलाया गया
बताया जा रहा है कि इस दौरान वह वरिष्ठ नेताओं से अलग-अलग बातचीत भी करेंगे। जबकि अगले दिन सोमवार को अनुषांगिक संगठनों और प्रकोष्ठों के अध्यक्षों के साथ बैठक करेंगे। इसके लिए पार्टी के सभी विधायकों, पूर्व एमएलए, पूर्व एमपी, प्रत्याशी रहे नेताओं को देहरादून बुलाया गया है। इसके अलावा जिलाध्यक्षों को भी बैठक में उपस्थित रहने को कहा गया है।
प्रीतम, बेहड़ और मदन बिष्ट से अलग से हो सकती है बात
पार्टी में वैसे तो विस चुनाव हार के बाद से ही वरिष्ठ नेताओं के बीच हार के कारणों को लेकर एक दूसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया था, लेकिन बीते कुछ दिनों में वरिष्ठ नेता प्रीतम सिंह, तिलक राज बेहड़ और मदन बिष्ट के जिस तरह से पार्टी प्रभारी और संगठन को लेकर बयान सामने आए हैं, उनसे पार्टी के साथ संगठन भी असहज है। पार्टी सूत्रों की मानें तो इन तीनों नेताओं की नाराजगी के कारणों को भी जाना जाएगा। इसके लिए पर्यवेक्षक पीएल पुनिया तीनों नेताओं से अलग से बातचीत कर सकते हैंं।
बदले जा सकते हैं कुछ जिलाध्यक्ष : सूत्र
प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने अपना एक साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है। इस बीच उन्हें वरिष्ठ नेताओं से समन्वय बनाने और विधायकों को साधने में खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। ऐसे में बीते दिनों जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा के साथ ही कई मोर्चों पर विरोध के सुर मुखर हो गए।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी का एक बड़ा कारण यह भी है, उनके विधानसभा क्षेत्र में आने वाले जिलाध्यक्षों के नाम की घोषणा से पूर्व उनसे राय मशवरा नहीं किया गया। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि इस मुद्दे से पार्टी में उठे तूफान को शांत करने के लिए कुछ जिलाध्यक्षों को बदला जा सकता है।