देहरादून। सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा मनाई जा रही है। साथ ही सोमवार को लगने वाला साल का आखिरी चंद्रग्रहण कई मामलों में विशेष होगा। कार्तिक पूर्णिमा पर्व के कारण चंद्रग्रहण का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। ज्योतिषियों का कहना है कि सोमवार को लगने वाला चंद्रग्रहण उपच्छाया चंद्र ग्रहण है। इसलिए इस बार सूतक नहीं लगेगा।
ज्योतिषाचार्य पंडित विष्णु प्रसाद भट्ट ने बताया कि भारतीय समयानुसार दोपहर एक बजकर दो मिनट पर एक छाया से पहला स्पर्श होगा। जबकि, अपराह्न तीन बजकर 13 मिनट पर परमग्रास चंद्रग्रहण होगा और शाम पांच बजकर 23 मिनट पर उपच्छाया से अंतिम स्पर्श करेगा।
30 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा पर रोहिणी नक्षत्र एवं सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। संपूर्ण मास में स्नान, तुलसी, विष्णु की पूजा और गंगा के किनारे दीपदान का महत्व बताया गया है। ज्योतिषाचार्य के मुताबिक दिन में दो बजकर 26 मिनट तक पूर्णिमा तिथि रहेगी। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा मैया और तुलसी के पास दीप जलाने से महालक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
ज्योतिषाचार्य पंडित संदीप भारद्वाज और पीयूष भटनागर ने बताया कि इस दिन किए जाने वाले दान पुण्य समेत कई धार्मिक कार्य विशेष फलदाई होते हैं। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा की संध्या पर भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार हुआ था। दूसरी मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन महादेव ने त्रिपुरासुर का वध भी किया था।
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक भरणी अथवा रोहिणी नक्षत्र का संयोग यदि कार्तिक पूर्णिमा के दिन प्राप्त हो जाए तो वह विशेष फलदाई होता है, इसलिए यह पूर्णिमा बेहद फलदाई है। इस दिन स्नान, ध्यान, पूजा, यज्ञ और अनुष्ठान किए जाने पर उसका दोगुना फल प्राप्त होता है। उनके मुताबिक पूर्णिमा पर सत्यनारायण व्रत एवं कथा सुनने का भी बड़ा महत्व है।
श्रद्धा और भक्ति के साथ यह कार्य किया जाए तो मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन उपवास भी किया जाता है। इसके लिए सुबह जल्द स्नान करके कार्तिक पूर्णिमा व्रत कथा करनी चाहिए और विधि विधान से पूजा पाठ कर दान आदि भी करना चाहिए।