श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति पुनजीर्वित कर दिया गया है। उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम 2019 के निरस्त होने के बाद श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति अधिनियम 1939( संख्या 16 वर्ष 1939 को एतद द्वारा पुनर्जीवित कर दिया गया है। उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम् प्रबंधन ( निरसन)विधेयक 2021 को सरकार द्वारा 11 दिसंबर को विधानसभा में पारित कर दिया गया। 15 दिसंबर 2021को संविधान के अनुच्छेद 200 के अधीन मा. राज्यपाल ने हस्ताक्षर किये।
17 दिसंबर को गजट नोटिफिकेशन किया गया।
अपर सचिव महेश चंद्र कौशिवा द्वारा जारी गजट नौटिफिकेशन में उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम् प्रबंधन ( निरसन)अधिनियम 2021 के बिंदु संख्या एक में अधिनियम का नाम, बिंदु दो में निरसित किये जाने की सूचना, बिंदु संख्या तीन में संयुक्त प्रांत श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अधिनियम 1939(अधिनियम संख्या 160 वर्ष 1939) को एतद द्वारा पुनर्जीवित करने की घोषणा है।
बिंदु संख्या चार निरसन एवं व्यावृत्तियां में उल्लेख है कि निरसित होते हुए भी निरसित अधिनियम के अधीन किसी प्राधिकारी या किसी अधिकारी द्वारा सभी नियम, उप विधियां बनाये गये विनिमय अधिसूचना, या जारी प्रमाण पत्र, पारित आदेश किये गये निर्णय की गयी कार्रवाई,जो कि इस अधिनियम के असंगत न हो प्रभावी रहेंगे तथा समस्त लंबित कार्यवाहियों का भी निस्तारण की ब्यवस्था दी गयी है। इसी प्रावधान के तहत चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के निरसन से पहले उत्तराखंड चारधाम की सूचनाओं हेतु अधिकृत मीडिया प्रभारी को उत्तराखंड चारधाम यथा श्री बदरीनाथ-केदारनाथ, श्री गंगोत्री, श्री यमुनोत्री की यात्रा सूचनाओं के आदान-प्रदान हेतु अधिकृत समझा जायेगा। उल्लेखनीय है कि श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति में प्रभारी मीडिया का शासन से स्वीकृत पद है।
देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के भंग होने के बाद पू्र्ववत ब्यवस्थायें बहाल हो गयी है। श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति अधिनियम 1939 अस्तित्व में आ गया है। श्री बदरीनाथ एवं श्री केदारनाथ धाम की ब्यवस्थायें एक्ट के तहत श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति संचालित करेगी जबकि श्री गंगोत्री-यमुनोत्री धाम में स्थानीय स्तर पर ब्यवस्थायें संचालित होती है।