नोएडा : प्रेरणा जनसंचार एवं शोध संस्थान नोएडा और गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के जन संचार संस्थान के संयुक्त प्रयास से गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय में प्रेरणा विमर्श- 2020 का आयोजन किया गया। समापन समारोह में अतिथियों ने केशव संवाद पत्रिका के विशेषांक का विमोचन भी किया।
प्रेरणा विमर्श के समापन समारोह में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि भारतीय संस्कृति मानवीय मूल्यों और भाईचारे का संदेश देती है। भारत मजबूत लोकतंत्र है, यह लोकतंत्र हमारी पुरातत्व संस्कृति है, यह आजादी के बाद मिला लोकतंत्र नहीं है। भारत इतनी पुरानी संस्कृति है, जिसे न मुगल मिटा सके, न अंग्रेज। इस लोकतंत्र में मीडिया की अभिव्यक्ति की आजादी महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह संपर्क प्रमुख रामलाल ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि हिंदुस्तान का इतिहास जिस तरह से लिखा गया है, उसमें अनेक ऐसे महापुरुषों को स्थान नहीं दिया गया, जो असल मायनों में भारत की विरासत हैं। सेक्युलरिज्म शब्द का सही अर्थ पंथ निरपेक्ष है। यह शब्द 1976 में आपातकाल के दौरान संविधान में 42वां संशोधन कर डाला गया। शब्दों के सही अध्ययन और व्याख्या किए जाने की आवश्यकता है।
पश्चिमी जगत के चश्मे से भारत को कभी नहीं समझा जा सकता — अरुण कुमार
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने भारत को भारत के दृष्टिकोण से समझने के लिए चार सुझावों का उल्लेख किया। पहला सुझाव था कि अगर भारत को भारत के दृष्टिकोण से समझना है तो विकीपीडिया नहीं पढ़ना चाहिए। दूसरा सुझाव था कि भारत के बारे में किसी विदेशी लेखक का साहित्य नहीं पढ़ना चाहिए। विदेशी लेखकों ने भारत को जितने टुकड़ों में बांटना था, वे तय कर पहले बाकायदा विमर्श तय किया। उसके बाद उस विमर्श पर अकादमिक आधार खड़ा किया। अपनी बात सिद्ध करने के लिए भाषाई और मानव विज्ञान पर आधारित अध्ययन खड़े किए। जो भारत नहीं आया उसने भारत का इतिहास लिखा, जैसे जेम्स मिल। अरुण कुमार का तीसरा सुझाव था कि पढ़ना है तो जिस समय अंग्रेज भारत में षड्यंत्र कर रहे थे, उस समय भारत के अंदर से उन्हें चुनौती दी जा रही थी। उन्होंने कहा कि पश्चिमी जगत के चश्मे से भारत को कभी नहीं समझा जा सकता। भारत को भारत की दृष्टि से ही जाना जा सकता है। भारत एक यात्रा है।
भारतीय विरासत विश्व में अनमोल — शिव प्रकाश
प्रेरणा विमर्श 2020 के अवसर पर विरासत थीम पर लगाई गई चित्र प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह के अवसर पर मुख्य वक्ता भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री श्री शिव प्रकाश जी ने कहा कि भारतीय विरासत विश्व में अनमोल है। शिव प्रकाश जी ने युवा पीढ़ी से आह्वान किया कि वे भारतीय विरासत के ध्वजवाहक बनें। उन्होंने कहा कि भारत ने विश्व भर में हर क्षेत्र में अपनी श्रेष्ठता साबित की है। चाहे जीवन रहस्य के उपक्रम हों, अध्यात्मिकता का विषय हो या विद्या का क्षेत्र हो। हर जगह भारत ने अपनी समृद्ध विरासत को दर्शाया है। विभिन्न विदेशी सभ्यताओं में मिले पुरातात्विक अवशेषों में भी भारतीय पुरातन संस्कृति के चिन्ह मिलते हैं। कुछ विदेशी इतिहासकारों और विदेशी चिंतकों ने भारतीयों की सभ्यता को नष्ट करने के लिए यहां के लोगों मे अनास्था पैदा कर अपराधबोध के सिद्धांत को गढ़ने का काम किया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक और अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री अशोक बेरी जी ने कहा कि हमने अपने पौराणिक और ऐतिहासिक तथ्यों का कभी गहनता से अध्ययन नहीं किया और न ही उन पर कभी शोध किए। अगर ऐसा होता, तो भारतीय विरासत को और अधिक समृद्ध कर विश्व पटल पर रखा जा सकता था। उन्होंने पारिवारिक संस्कारों की नींव पर बल दिया।
मीडिया की प्रामाणिकता विषय पर माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति श्री जगदीश उपासने और ऑर्गेनाइजर के संपादक श्री प्रफुल्ल केतकर और पांचजन्य के संपादक श्री हितेश शंकर ने विचार प्रस्तुत किए। श्री हितेश शंकर ने कहा कि भारत पत्रकारिता के मामले में अनूठा देश रहा है। यहां के अनेक महापुरुषों का संबंध पत्रकारिता से रहा है, जिन्होंने देश को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
ऑर्गनाइजर के संपादक श्री प्रफुल्ल केतकर ने कहा कि तकनीकी बदलाव के साथ मीडिया में बदलाव हो रहा है। यह संक्रांति का काल है, संकट का नही। आज चिंता और चिंतन का विषय फेक न्यूज़ नहीं, फेक नरेटिव है। उन्होंने कहा कि भारत को भारत की दृष्टि से देखने की समझ बढ़ेगी, तो मीडिया जगत में भारत और भारतीय संस्कृति की जयकार होती दिखेगी। समाचार माध्यमों को सटीक और बहुआयामी विश्लेषण कर गहराई से रिपोर्ट देनी चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार जगदीश उपासने ने कहा कि सामाजिक सरोकार निभाने के मामले में सोशल मीडिया बेहतर माध्यम है। इसके सही प्रयोग से कई तरह के सामाजिक संकटों से निपटा जा सकता है। वहीं इसके दुरुपयोग भी होते हैं।
चार दिनों के इस कार्यक्रम में देश के मूर्धन्य चिंतकों, कई विश्वविद्यालय के कुलपतियों, समाचार पत्रों के प्रमुख संपादकों, टीवी चैनलों के प्रमुख संपादकों, वरिष्ठ पत्रकारों, सोशल मीडिया के दिग्गजों और फिल्म टेलीविजन के प्रमुख हस्ताक्षरों और सम्मानित जनप्रतिनिधियों को मिलाकर 55 अतिथियों ने प्रेरणा विमर्श 2020 को सार्थक बनाया। हर दिन चर्चा सत्र में प्रश्नोत्तर का क्रम रखा गया, जो बहुत रोचक और सफल रहा।
मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, और उत्तर प्रदेश को मिलाकर चार राज्यों के प्रतिभागियों ने प्रेरणा विमर्श 2020 में हिस्सेदारी की।