कुलवंती के हौसले को सलाम, चार माह की गर्भवती होने पर भी टीकाकरण को नाप रहीं दुर्गम रास्ते; जिम्मेदारियों से नहीं मोड़ा मुंह

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उत्तरकाशी। कोरोना से मुक्ति दिलाने के अभियान में उत्तराखंड के सुदूर दुर्गम गांवों में आग्जिलरी नर्स मिडवाइफरी (एएनएम) अहम भूमिका निभा रही हैं। इन्हीं में शामिल हैं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मोरी में तैनात एएनएम कुलवंती रावत। हौसला इतना बुलंद कि चार माह की गर्भवती होने के बावजूद उन्होंने जिम्मेदारियों से मुंह नहीं मोड़ा। बीती सोमवार को कुलवंती को सरास गांव वैक्सीनेशन के लिए जाना था। सबसे पहले तो कच्ची सड़क पर कुछ किमी तक कुलवंती स्वास्थ्य टीम के साथ जेसीबी में बैठकर गई। इसके बाद चार किमी पैदल चलकर सरास गांव पहुंची।

मोरी ब्लाक के वैक्सीनेशन प्रभारी डा. नितेश रावत ने बताया कि बीती सोमवार सुबह एएनएम कुलवंती रावत स्वास्थ्य टीम के साथ टीकाकरण के लिए मोरी के सुदूरवर्ती गांव सरास, बामसू, ओडाटा, थली गांव के लिए गई। ये गांव मोरी ब्लाक मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूरी पर हैं। गर्भवती होने के कारण उन्होंने एएनएम कुलवंती रावत को जोखिम भरे रास्तों पर जाने और पैदल चलने के लिए मना किया था। लेकिन, जब सोमवार शाम टीम वापस मोरी लौटी तो उन्हें पता चला कि कुलवंती ने पहले जेसीबी में बैठकर कच्ची सड़क पार की।

इसके बाद उन्होंने सड़क निर्माण में लगे सभी श्रमिकों का मौके पर ही टीकाकरण किया। फिर स्वास्थ्य टीम के साथ अंतिम गांव तक टीकाकरण के लिए पैदल भी गई। डा. नितेश रावत ने बताया कि सरास, बामसू, ओडाटा, थली गांव में 270 ग्रामीणों का टीकाकरण किया गया। इसके लिए उन्होंने एएनएम कुलवंती रावत सहित एएनएम सोनम रावत, बलवीर चौहान को प्रोत्साहित किया और बधाई दी। डा. नितेश रावत ने कहा कि मोरी ब्लाक में सबसे अधिक दुश्वारियां होने के बावजूद स्वास्थ्य कर्मियों के उत्साह में कोई कमी नहीं है।

स्वास्थ्य कर्मी जानते हैं कि कोविड का टीका हर व्यक्ति के जीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण है। कोरोना की तीसरी लहर से बचने के लिए यह टीका सबसे महत्वपूर्ण और जीवनरक्षक है। अगर सबका टीकाकरण नहीं हुआ तो तीसरी लहर के दौरान कोविड संक्रमितों को बचाने के लिए सबसे अधिक स्वास्थ्य कर्मियों को ही जूझना पड़ेगा।

स्वास्थ्य टीम के पैरों में चिपकी जोंक

सर बडियार पट्टी के गांवों में कोरोना वैक्सीन लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम को जान जोखिम में डालना पड़ रहा है। सर बडियार जाते समय और वापस लौटते समय स्वास्थ्य टीम पर जोंक चिपक गए। इससे टीम को चलने में खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा। यही नहीं, बारिश के बीच नदी-नालों को भी पार करना पड़ा। तब जाकर सभी गांवों में 273 ग्रामीणों का टीकाकरण किया गया, जिसमें अधिकांश बुजुर्ग और दिव्यांग थे।

बीती शुक्रवार को तमाम दुश्वारियों के बीच पुरोला तहसील के सरबडियार पट्टी के सर, डिंगाड़ी, पोंटी, लेपटाड़ी, कासलों, छानिका, किमडार, गोल के लिए फार्मेसिस्ट श्याम सिंह चौहान के नेतृत्व में तीन टीमें रवाना हुई। इनमें स्वास्थ्य विभाग और राजस्व विभाग के कर्मी शामिल हुए। श्याम सिंह चौहान ने बताया कि गंगराली पुल से एक टीम डिंगाडी, सर गांव के लिए खिमोत्रा के जंगल होते हुए आगे बढ़ी। जबकि, दूसरी टीम गंगराली गदेरा पार करते हुए किमडार व कासलों गांव के लिए आगे बढ़ी। वहीं तीसरी टीम ने भी पौंटी, गोल, छानिका में जाकर टीकाकरण शुरू किया। यहां पहुंचने के लिए तीन टीमों ने सात से लेकर दस किमी सफर तय किया।

गदेरों को पार कर पहुंच रही टीम 

हर टीम में तीन-तीन कर्मी शामिल हुए। लेकिन, गांवों तक पहुंचने के लिए उफानभरे गदेरों को पार करना पड़ा। लेकिन, सबसे अधिक परेशानी तब हुई जब सैकड़ों की संख्या में वैक्सीनेशन टीम के पैरों में जोंक चिपक गई। उन्हें हटाने के बावजूद चलने में काफी दिक्कत हुई। टीम की आशा फैसिलेटर गीता नौटियाल बताती हैं, सर बडियार का रास्ता बेहद जोखिम भरा था। उनकी टीम में राजस्व उप निरीक्षक बृजेश कुमार, बनवारी लाल असवाल, पूनम आदि शामिल थे।

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