उत्तरकाशी। उत्तरकाशी जिले से भी चीन की करीब सवा सौ किमी सीमा लगती है। वर्षों पूर्व गंगोत्री के निकट भैरोंघाटी से गर्तांग गली होते हुए नेलांग घाटी से तिब्बत के बीच व्यापार भी होता था, लेकिन वर्ष 1962 में चीन के साथ युद्ध के दौरान सीमावर्ती नेलांग एवं जाढ़ूंग गांव खाली कराकर यह पूरा क्षेत्र सेना के सुपुर्द कर दिया गया था।
वर्तमान में क्षेत्र में नेलांग, नागा, नीलापानी, जाढ़ूंग, सोनम, त्रिपाणी, पीडीए, सुमला एवं मंडी तक सैन्य जरूरत के लिए सड़कों का निर्माण किया जा चुका है और इन स्थानों पर आईटीबीपी एवं सेना के जवान मुस्तैद हैं। जबकि अग्रिम पोस्ट थागला-1, थागला-2, टीसांचुकला, मुनिंगला पास एवं रंगमंच गाड़ दर्रों तक अभी सड़क नहीं पहुंची है। वर्ष 1989 में इस पूरे क्षेत्र को गंगोत्री नेशनल पार्क में शामिल कर दिया गया। बीते चार साल से नेलांग वैली पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी बनी हुई है।
अग्रिम पोस्टों से आगे हिमालय की ऊंची चोटियां और गहरी घाटियों के चलते यहां भौगोलिक परिस्थितियां बेहद दुर्गम हैं। यही कारण है कि इस क्षेत्र में कभी भारतीय एवं चीन सेना का आमना सामना नहीं हुआ। बीते 21 मई को सेना की मध्य कमान के सेनाध्यक्ष ले. जनरल इकरूप सिंह घुमन बॉर्डर का दौरा कर चुके हैं।