उत्तराखंड में भारत-तिब्बत के बीच व्यापारिक रिश्तों की गवाह ऐतिहासिक गर्तांग गली पर्यटकों के लिए खुल गई है। बुधवार को उत्तरकाशी के डीएम मयूर दीक्षित ने गंगोत्री नेशनल पार्क के उप निदेशक व जिला पर्यटन विकास अधिकारी को गर्तांग गली को पर्यटकों के लिए खोलने के निर्देश दिए। उन्होंने यहां आने वाले पर्यटकों से कोविड एसओपी का अनुपालन कराने एवं भैरवघाटी के पास चेकपोस्ट बनाकर क्षेत्र में आने वाले पर्यटकों का पंजीकरण करने के निर्देश दिए।
सीमांत जनपद उत्तरकाशी की भैरोंघाटी के समीप गर्तांग गली में खड़ी चट्टानों को काटकर लकड़ी से निर्मित सीढ़ीदार ट्रेक बनाया गया है। प्राचीन समय में सीमांत क्षेत्र में रहने वाले जादूंग, नेलांग को हर्षिल क्षेत्र से पैदल मार्ग के माध्यम से जोड़ा गया था। मार्ग से स्थानीय लोग तिब्बत से व्यापार भी करते थे। सेना भी सीमा की निगरानी के लिए इस मार्ग का उपयोग करती थी। बाद में चलन से बाहर होने पर ट्रेक क्षतिग्रस्त हो गया।
हाल में इस ट्रेक का जीर्णोद्धार कर 136 मीटर लंबे व 1.8 मीटर चौड़े लकड़ी से निर्मित सीढ़ीदार ट्रेक तैयार किया गया है, जिसे पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। पर्यटकों व ट्रेक की सुरक्षा के लिए एक बार में अधिकतम 10 लोग ही जा सकेंगे। ट्रेक में झुंड बनाकर आवागमन करने या एक जगह बैठने पर भी पाबंदी होगी। सुरक्षा के दृष्टिगत ट्रेक की रेलिंग से नीचे झांकने पर भी पाबंदी लगाई गई है।
कैसे पहुंचें गर्तांग गली
देहरादून तक ट्रेन व वायुमार्ग तक आने की सुविधा है। निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है जो उत्तरकाशी से करीब 100 किमी की दूरी पर है। यहां से सड़क मार्ग से होते हुए उत्तरकाशी जिला मुख्यालय तक पहुंचना होगा। राज्य परिवहन की बसे नियमित रूप से उत्तरकाशी और ऋषिकेश के बीच चलती हैं। उत्तरकाशी से लंका पुल तक करीब 88 किमी तक सड़क मार्ग का सफर है। लंका पुल से करीब एक किमी पैदल ट्रेक के बाद गर्तांग गली शुरू होती है।