उत्तरकाशी। रोमांच के शौकीनों के लिए अच्छी खबर है। दुनिया के खतरनाक रास्तों में शुमार गर्तांगली को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया। इस दौरान कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव को जारी गाइडलाइन का पाल करना जरूरी है। कभी भारत-तिब्बत के बीच व्यापारिक गतिविधियों का मुख्य केंद्र रहे इस मार्ग पर पड़ने वाला यह पुराना मार्ग रोमांच को और भी बढ़ाएगा।
उत्तरकाशी के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने उप निदेशक गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क और जिला पर्यटन विकास अधिकारी को निर्देश दिए हैं कि ट्रैक में आने वाले पर्यटकों से कोविड एसओपी और अन्य बंदिशों का पालन करवाया सुनिश्चित करेंगे। इसके साथ ही भैरवघाटी के पास चेकपोस्ट बनाकर उस क्षेत्र में आने वाले पर्यटकों का पंजीकरण भी सुनिश्चित करेंगे।
जानिए गर्तांगली के बारे में
जिले के सीमांत क्षेत्र नेलांग घाटी के लिए भैरोंघाटी के समीप गर्तांगली में खड़ी चट्टानों को काटकर लकड़ी से निर्मित सीढ़ीदार ट्रैक बनाया गया है, जिसे प्राचीन समय में सीमांत क्षेत्र में रहने वाले गांव जादूंग, नेलांग को हर्षिल क्षेत्र से पैदल मार्ग के माध्यम से जोड़ा गया था। उस मार्ग से स्थानीय लोग तिब्बत से व्यापार भी करते थे और सेना द्वारा सीमा की निगरानी के लिए इस मार्ग का उपयोग किया जाता था। वर्तमान में गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क अंतर्ग गर्तांगली के क्षतिग्रस्त ट्रैक मार्ग (जिसकी लम्बाई 136 मीटर और चौड़ाई औसतन 1.8 मीटर है) का लकड़ी से निर्मित सीढ़ीदार ट्रैक का पुनर्निर्माण किया गया है।
इन बातों का रखें ध्यान
गर्तांगली दुनिया के खतरनाक रास्तों में शुमार है। ऐसे में ट्रैक पर एक बार में अधिकतम दस लोग एक मीटर की दूरी बनाकर चलेंगे। ट्रैक में झुंड बनाकर आवागमन या फिर बैठना प्रतिबंधित होगा। यहां उछल-कूद जैसे क्रियकलाप भी मना है। इसके अलावा ट्रैक की रैलिंग से नीचे झांक भी नहीं सकते हैं। ट्रैक की सुरक्षा के दृष्टिगत ट्रैक क्षेत्र में धूमपान करना और अन्य ज्वलनशील पदार्थ ले जाना वर्जित है। यहां भोजन बनाना भी मना है।