हर्षिल के सेब की डिमांड बढ़ी, अडानी ग्रुप और ट्रुपिक कंपनी आयी खरीददारी में आगे

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उत्तराखंड में उत्तरकाशी के हर्षिल का सेब इस बार विदेशों में भी धमाल मचाएगा। उत्तराखंड सहकारिता विभाग के अंतर्गत राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना के अधीन सेब फेडरेशन के प्रयासों से इस बार कुछ बहुराष्ट्रीय कंपनियां इसके लिए आगे आई हैं। जो किसानों से बाग में ही सेब खरीदकर उसका उचित मूल्य चुकाएंगी।उत्तराखंड सेब उत्पादक एवं विपणन सहकारी संघ के सचिव विपिन पैन्यूली की अगुवाई में अडानी ग्रुप और ट्रुपिक कंपनी के अधिकारियों ने पिछले दिनों हर्षिल का दौरा कर किसानों से सेब खरीदने के बाबत बातचीत की। इसके साथ ही झाला कोल्ड स्टोरेज का निरीक्षण एवं ट्रायल रन भी किया गया।पैन्यूली ने बताया कि कंपनियां सेब खरीदने के आलवा कोल्ड स्टोर का संचालन भी खुद के हाथों में लेना चाहती हैं, ताकि वह सेब खरीदकर यहीं स्टोर कर सकें। इस सीजन में यह संभव नहीं है, टेंडर आदि की प्रक्रिया में समय लगता है।

उन्होंने बताया कि पिछले साल के मुकाबले इस साल सेब की फसल कम आई है। पिछले साल करीब दस हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन हुआ था, जबकि इस बार करीब छह हजार मीट्रिक टन सेब उत्पादन का अनुमान है।

उन्होंने बताया कि सेब का तुड़ान और ढुलान 15 सितंबर के आसपास शुरू हो जाएगा, जो 30 अक्तूबर तक चलेगा। उन्होंने बताया कि जिस तरह से बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने सेब खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है, उम्मीद है कि किसानों को गत वर्ष के मुकाबले इस बार अच्छे दाम मिलेंगे।

पिछले साल ए-ग्रेड का सेब 65 से 70 रुपये, बी-ग्रेड का सेब 30 से 35 रुपये जबकि सी-ग्रेड का सेब 10 से 15 रुपये बिका था। उम्मीद है इस बार इनके दामों में 10 से 15 रुपये की बढ़ोतरी होगी।पैन्यूली का कहना है कि हर्षिल का सेब अमेरिका के वाशिंगटन एप्पल को टक्कर देता है, लेकिन अभी तक इसकी ठीक से मार्केटिंग नहीं हो पाई है। उत्तराखंड सेब फेडरेशन इसके लिए प्रयास कर रहा है।

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