उत्तरकाशी। इको सेंसटिव जोन की शर्तों के कारण ऑलवेदर के तहत भूमि अधिग्रहण, भूमि हस्तांतरण और निर्माण की अनुमति न मिल पाने से अब तक चुंगी बडे़थी से लेकर गंगोत्री तक गंगोत्री हाईवे के चैड़ीकरण की कवायद आगे नहीं बढ़ पाई है। बीती 25 जनवरी को हुई भागीरथी इको सेंसटिव जोन मॉनीटरिंग कमेटी की बैठक में भी इस बावत कोई ठोस निर्णय नहीं हो सका। ऐसे में इस सड़क को ऑलवेदर निर्माण की हरी झंडी कब मिलेगी, इस पर संशय बना हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शुमार ऑलवेदर रोड का कार्य गढ़वाल में 25 फीसद से अधिक हो चुका है। उत्तरकाशी जिले में चिन्यालीसौड़ से लेकर चुंगी बडे़थी तक भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई हो चुकी है। गंगोत्री हाईवे पर चिन्यालीसौड़, नालूपानी व चुंगी बडे़थी के पास निर्माण चल रहा है। धरासू-यमुनोत्री हाईवे पर भी निर्माण की रफ्तार तेज है। लेकिन, चुंगी बडे़थी से लेकर गंगोत्री तक करीब 110 किमी लंबे हाईवे पर अब तक ऑलवेदर रोड की कवायद शुरू नहीं हुई।
दरअसल यह क्षेत्र ईको सेंसटिव जोन में आता है। वर्ष 2012 के नोटिफिकेशन के अनुसार गोमुख से लेकर चुंगी बडे़थी तक भागीरथी (गंगा) नदी के कैचमेंट एरिया को ईको सेंसटिव जोन घोषित किया था। जिसका प्रभाव अब ऑलवेदर रोड पर भी दिख रहा है। बीती 25 जनवरी को शासन स्तर पर भागीरथी ईको सेंसटिव जोन मॉनीटरिंग कमेटी की बैठक हुई थी। इसमें अधिकारियों ने इस सड़क का सामरिक महत्व भी बताया, लेकिन वन, पर्यावरण व नदी संरक्षण के चलते ईको सेंसटिव जोन की शर्तों के तहत अनुमति नहीं मिल पाई।
इस कमेटी के सदस्य एवं उत्तरकाशी के जिलाधिकारी डॉ. आशीष चैहान ने बताया कि उत्तरकाशी से लेकर गंगोत्री तक ऑलवेदर के निर्माण की अनुमति नहीं मिली है। कब तक मिलेगी, इस संबंध में कुछ कहना संभव नहीं है। लेकिन, गंगोत्री हाईवे चारधाम के साथ सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस सड़क की ऑलवेदर की फाइल भागीरथी ईको सेंसटिव जोन मॉनीटरिंग कमेटी के पास है।