उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में रविवार को आई आपदा के बाद राहत एंव बचाव कार्य अभी भी जारी है। मंगलवार को भी सेना की ओर से मलबे में दबे लोगों की तलाश जारी है। वहीं प्रशासन की ओर से तीन चॉपर में खाद्य सामग्री प्रभावितों के लिए पहुंचाई जा रही है। वहीं सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, सांसद अजय भट्ट और सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह भी प्रभावितों से मिलने आराकोट पहुंचे। उन्होंने इस दौरान आपदा प्रभावितों का हाल जाना। उन्होंने कहा कि हमारी पहली प्राथमिकता घायलों का इलाज कराना है। वहीं आपदा में बेघर हुए लोगों को आवास उपलब्ध कराना है। आपदा प्रभावितों के लिए हर जरूरी मदद की जा रही है।
बता दें कि अभी तक 12 लोगों के शव बरामद हो चुके हैं। छह से ज्यादा लोग अब भी लापता हैं। सोमवार को प्रभावित क्षेत्र में युद्ध स्तर पर राहत और बचाव अभियान शुरू कर दिया गया। आपदा प्रभावित गांवों से दस घायलों का रेस्क्यू किया गया। इनमें सात लोगों को इलाज के लिए हेलीकॉप्टर से देहरादून भेज दिया गया।
अभी तक माकुड़ी से 6, आराकोट से 4 और सनेल व टिकोची से एक-एक शव बरामद हुआ है, जबकि इन गांवों से सात लोग अभी भी लापता चल रहे हैं। एसडीआरएफ ने लाल बाहदुर(60) का भी शव बरामद कर लिया है। अब मृतकों की संख्या 12 पहुंच गई है। एएनआई के अनुसार, मंगलवार को भी एक शव बरामद हुआ है। हालांकि अभी तक प्रशासन ने इसकी पुष्टि नहीं की है।
सीएम पहुुंचे उत्तरकाशी
वहीं, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी आज उत्तरकाशी जनपद के आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। वे कुछ क्षेत्रों का हवाई और कुछ का स्थलीय निरीक्षण करने के बाद त्यूनी में आपदा प्रभावितों से भी मिले।
उत्तरकाशी के आराकोट पहुंचने के बाद सीएम ने तिवाड़ी, फिताड़ी, ओसला और ढाटमीर का हवाई निरीक्षण किया। इसके बाद माकुड़ी, टिकोची, डगोली का स्थलीय निरीक्षण किया, जहां आपदा से सर्वाधिक नुकसान हुआ है। इसके बाद मुख्यमंत्री हवाई मार्ग से ही त्यूनी जाएंगे।
बदरीनाथ-केदारनाथ हाईवे बंद
भूस्खलन के कारण बदरीनाथ हाईवे लामबगड़ में अभी भी बंद है। हालांकि यात्री पैदल आवाजाही कर रहे हैं। वहीं केदारनाथ हाईवे भी गौरीकुंड में बंद हो गया है। यमुनोत्री हाईवे भी डामटा के पास सुबह मलबा आने से बंद हो गया था। करीब दस बजे हाईवे पर मलबा साफ कर आवाजही शुरू की गई।
आपदा का वक्त और दून अस्पताल में आईसीयू बंद
प्रदेश में आपदा आई हुई है और दून अस्पताल का आईसीयू वार्ड तीन दिन से बंद है। ऐसे में आईसीयू की सुविधा न होने से अस्पताल प्रशासन के साथ ही मरीज भी परेशान हैं। हालांकि अस्पताल प्रशासन का दावा है कि मंगलवार से आईसीयू वार्ड में स्वास्थ्य सुविधाएं शुरू कर दी जाएंगी।
राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रदेश के सुविधाओं के लिहाज से सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में शामिल है। अस्पताल के पांच बेड के एकमात्र आईसीयू वार्ड में एक महीने पहले पानी की लाइन में लीकेज होने के कारण वहां करंट आने लगा था। करंट के साथ ही संक्रमण का खतरा भी बना हुआ था। फॉल्ट न मिलने की वजह से आईसीयू वार्ड को शनिवार को बंद कर दिया गया था।
ऋषिकेश स्थित एम्स को छोड़ दें तो आसपास के जिलों में भी सरकारी अस्पतालों में आईसीयू वार्ड नहीं है। आपदा के गंभीर घायलों को जहां दून अस्पताल लाया जा रहा है। ऐसे में आईसीयू की सुविधा न होने से अस्पताल प्रशासन के साथ ही मरीज भी परेशान हैं। दून अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने बताया कि विभाग के इंजीनियरों ने फॉल्ट ढूंढ लिया है। पीने के पानी की लाइन का पाइप आईसीयू की दीवार के पास पूरी तरह से टूटा हुआ था। दीवार को तोड़कर लाइन को दुरुस्त कर दिया गया है। मंगलवार से आईसीयू वार्ड को शुरू कर दिया जाएगा।
आपदा के सात घायल दून अस्पताल में भर्ती
एयरलिफ्ट कर लाए गए आराकोट (उत्तरकाशी) और चकराता आपदा के सात घायलों को दून अस्पताल में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों ने जरूरी उपचार देने के बाद चारों की हालत खतरे से बाहर बताई है।
आपदा पीड़ित सोहन लाल (50) पुत्र सत्तूलाल व राधा देवी (52) निवासी आराकोट और राजेेंद्र सिंह चैहान (26) पुत्र मोर सिंह व जालम सिंह (22) पुत्र माधो सिंह, उपेंद्र(28), सक्षम(12), हितेश(15) सभी निवासी लोहारी लोकंडी (चकराता) को हेलीकॉप्टर से देहरादून के सहस्त्रधारा हेलीपैड पर लाया गया। एंबुलेंस से पहले चार घायलों को और देर शाम तीन घायलों को दून अस्पताल पहुंचाया गया और उन्हें इमरजेंसी कक्ष में भर्ती किया गया।
घायलों के हाथ, पैर और सिर समेत शरीर के अन्य हिस्सों में भी चोट लगी है। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने बताया कि घायलों का एक्सरे, अल्ट्रासाउंड व अन्य जांच और जरूरी उपचार किया जा रहा है। चार की हालत खतरे से बाहर है, बाकी तीन लोगों का चिकित्सकीय परीक्षण चल रहा है।