चमोली। पूरी दुनिया में जलवायु परिवर्तन और लगातार तापमान बढ़ने से उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्थित ग्लेशियरों असंतुलित हो रहे हैं। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों की ओर से 2017 में किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई थी।
शोध में यह भी खुलासा हुआ था कि तापमान में बढ़ोतरी से ग्लेशियर की मोटाई में भी साल दर साल कमी हो रही है और ग्लेशियरों के मुहाने पीछे की तरफ खिसक रहे हैं। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों की टीम ने 2017 में देश की प्रमुख नदियों गंगा, सिंधु और ब्रह्मपुत्र का अध्ययन कर इनकी जियोलॉजिकल हिस्ट्री तैयार की थी।
वैज्ञानिकों ने शोध में पाया था कि हिमालयी क्षेत्रों में ग्लेशियर न सिर्फ असंतुलित हो रहे हैं, वरन उनकी मोटाई में भी कमी आ रही है। तापमान में बढ़ोतरी की वजह से उच्च हिमालयी क्षेत्र में तमाम झीलें भी बन रही हैं, जिनमें से कई आपदा के लिहाज से बेहद संवेदनशील हैं।
संस्थान के वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने की वजह से गंगा, सिंधु, ब्रह्मपुत्र नदियों के जल प्रवाह में बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में ग्लेशियरों से निकलने वाली तमाम नदियों का विस्तृत अध्ययन करने की जरूरत है।
दूसरी ओर वाडिया इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक डॉ. कालाचांद साईं का भी मानना है कि जिस तरीके से जलवायु परिवर्तन का असर देखने को मिल रहा है और धरती का तापमान बढ़ रहा है इससे ग्लेशियरों पर प्रभाव दिखना लाजिमी है। ऐसे में ग्लेशियरों के और अधिक विस्तृत अध्ययन के साथ ही समय समय पर आने वाली प्राकृतिक आपदाओं से निपटने को लेकर तमाम एहतियाती कदम उठाने की जारूरत है।