उत्तराखंड में हेमकुंड साहिब यात्रा मार्ग पर भ्यूंडार गांव के समीप हेम गंगा पर 135 मीटर लंबा स्टील गार्डर पुल बनकर तैयार हो गया है। यह क्षेत्र में सबसे लंबा गार्डर पुल है। इससे हेमकुंड साहिब और फूलों की घाटी की राह अब कुछ आसान हो गई है। इस पुल पर 20.73 करोड़ की लागत आई है। वर्ष 2013 की जल प्रलय के दौरान हेम गंगा में बाढ़ आने से यहां बना पुल बह गया था। इससे हेमकुंड साहिब और फूलों की घाटी जाने वाले तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को भारी परेशानी हो रही थी।हेमकुंड साहिब तक पहुंचने के लिए तीर्थयात्री गोविंदघाट से पुलना गांव तक तीन किलोमीटर वाहन से और यहां से 16 किलोमीटर तक दुरूह पैदल चढ़ाई पार करने के बाद हेमकुंड साहिब पहुंचते हैं। यह पैदल ट्रैक फूलों की घाटी के लिए भी जाता है। गोविंदघाट से 13 किलोमीटर की पैदल दूरी पर स्थित घांघरिया से एक रास्ता फूलों की घाटी के लिए जाता है।
वर्ष 2013 की जलप्रलय के दौरान हेम गंगा में बाढ़ आने से भ्यूंडार गांव के साथ ही पैदल पुल बह गया था। इस कारण हेमकुंड साहिब तक जाने के लिए तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को नदी पर निर्मित लकड़ी के पुल से आवाजाही करनी पड़ रही थी। लोनिवि ने यहां हस्तचालित ट्रॉली भी स्थापित की थी, लेकिन यह कुछ ही महीने बाद ही खराब हो गई थी।
परेशानी को देखते हुए वर्ष 2014 में शासन ने हेम गंगा पर पैदल पुल के निर्माण की स्वीकृति दी थी। अब सात साल बाद यह पुल बनकर तैयार हो गया है। फूलों की घाटी जाने वाले पर्यटक भी इसी पुल से आवाजाही कर रहे हैं। लोक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता रविंद्र कुमार ने बताया कि जोशीमठ क्षेत्र में यह सबसे लंबा स्टील गार्डर पुल है।
आगे नहीं बढ़ पाया रोपवे का प्रस्ताव
हेमकुंड साहिब तक तीर्थयात्रियों की राह को आसान करने के लिए शासन ने वर्ष 2017 में घांघरिया से हेमकुंड साहिब (6 किलोमीटर) तक रोपवे के निर्माण की योजना बनाई। वर्ष 2020 में इसके लिए टेंडर भी आमंत्रित किए गए, लेकिन इन साढ़े तीन साल से यह काम आगे नहीं बढ़ पाया है। गोविंदघाट गुरुद्वारे के वरिष्ठ प्रबंधक सरदार सेवा सिंह का कहना है कि कई असहाय तीर्थयात्री गोविंदघाट से घांघरिया तक हेलीकॉप्टर से पहुंच जाते हैं, लेकिन यहां से हेमकुंड साहिब तक घोड़े या पैदल जाने में असमर्थता जताते हैं। उन्होंने शासन से शीघ्र रोपवे निर्माण में तेजी लाने की मांग की है।