देहरादून के 300 से अधिक लोग काबुल में फंसे, परिजनों की सांसें अटकीं

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अफगानिस्तान में तालिबानियों का कब्जा होने के बाद हजारों भारतीय अफगानिस्तान में फंस गए हैं। इनमें दून के भी तीन सौ से अधिक लोग शामिल हैं जो चार दिन से एक जगह पर हैं लेकिन उन्हें एयरपोर्ट जाने का रास्ता नहीं मिल पा रहा है। इनमें से कुछ लोग वीडियो जारी कर भारत सरकार ने लगातार मदद की गुहार लगा रहे हैं। इधर उनके परिजनों की सांसें अटकी हुई हैं। वे उनकी सलामती और  सुरक्षित वापसी के लिए लगातार प्रार्थना कर रहे हैं। अफगानिस्तान में फंसे दून के लोगों में ज्यादातर पूर्व सैनिक हैं जो वहां के यूरोपियन, ब्रिटिश एंबेसी सहित अन्य जगहों पर सुरक्षा में तैनात थे। दून गल्वाडी, अनारवाला, गजियावाला, डोईवाला, नेहरूग्राम सहित विभिन्न स्थानों में रह रहे उनके परिजन सोशल मीडिया पर उनके वीडियो देख हलाकान हो गए हैं। उनकी आंखों में आंसू हैं।

हर वक्त उनके कान और आंखें टीवी और फोन पर टिकी हुई है। जिन लोगों के पति, भाई और अन्य रिस्तेदार अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं, उनका कहना है कि मजबूरी में सभी लोग  नौकरी के लिए अफगानिस्तान गए। अगर लोगों को भारत में ही अच्छी सैलरी और नौकरी मिलती तो उन्हें वहां जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती। कहा कि भारत सरकार को अब इस बारे में सोचना चाहिए।

चार दिन से एक ही कमरे में हैं 140 लोग, नहीं मिल रहा खाना 
काबुल में फंसे नेहरू ग्राम निवासी नरेंद्र के साथ ही इंद्रानगर गल्जवाड़ी निवासी श्याम ठकुरी ने वीडियो के जरिए परिजनों को बताया कि वह चार दिन से एक ही कैंप में फंसे हुए हैं। यहां 140 भारतीय एक ही कमरे में हैं। न तो उन्हें खाने को कुछ मिला है और न ही सो पाए हैं। बैठने और रहने की कोई व्यवस्था नहीं है। जिस कंपनी में वह काम करते थे, उसने उन्हें छोड़ दिया है। वह भारत सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि वह सभी को यहां से सुरक्षित निकाल लें। उनकी पत्नी रुचि ठकुरी ने बताया कि मंगलवार दो बजे पति से बात हुई थी। फिलहाल वह सुरक्षित हैं, लेकिन कोई मदद के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। बताया कि पांच साल से वह यूरोपियन एंबेसी में काम करते थे। अभी पिछले दिसंबर में छुट्टी काटकर वापस आए थे।

सीएम धामी ने दिलाया मदद का भरोसा
अफगानिस्तान में फंसे उत्तराखंड के नागरिकों को सकुशल वापस प्रदेश लाने के लिए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भरोसा दिलाया है।

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