देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शनिवार को मुख्यमंत्री आवास में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद उत्तराखण्ड की वर्चुअल रैली को सम्बोधित किया।
मुख्यमंत्री ने अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद उत्तराखण्ड से जुड़े अधिवक्ताओं के विचार एवं सुझावों की जानकारी प्राप्त करते हुए कहा कि प्रदेश में विभिन्न शासनादेश अधिनियम आदि निर्गत करने से पूर्व उन्हें पब्लिक डोमेन में डाले जाने के निर्देश दिये गये हैं ताकि उसमें अधिक से अधिक सुझाव प्राप्त हो सके तथा वे व्यावहारिकता के साथ लागू हो सके। उन्होंने कहा कि देहरादून स्थित सभी कोर्ट एक ही परिसर में स्थापित हों इसके प्रयास किये जायेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वैच्छिक चकबंदी के लिये उनके स्तर पर पूर्व में भी प्रयास किये गये थे। इसे लागू करने के लिये इसमें आने वाली बाधाओं को दूर किया जायेगा। पर्वतीय जनपदों में गोल खातों के कारण इसमें व्यावहारिक दिक्कत आ रही है, यदि यह लागू हो गया तो यह प्रदेश के लिये क्रांतिकारी कदम होगा। इससे भूमि के बेहतर उपयोग में भी मदद मिलेगी। इसमें अधिवक्ताओं से अपना सुझाव देने की भी मुख्यमंत्री ने अपेक्षा की, यह राज्य हित में उनका बड़ा योगदान भी होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिवक्ताओं के सुझाव सीमान्त क्षेत्रों की समस्याओं के समाधान में भी मददगार होंगे। उनके सुझाव राज्य हित में रहेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य की साक्षरता दर केरल, दिल्ली के बाद तीसरे स्थान पर है जो वर्तमान में 86 प्रतिशत है, इसे 95 प्रतिशत तक ले जाने के प्रयास में अधिवक्तागण सहयोगी बनें। इसी प्रकार कुपोषण के विरूद्ध अभियान में भी उन्होंने सहयोग की जरूरत बतायी। लगभग 1700 बच्चों को गोद लेकर उन्हें कुपोषण से मुक्त किया गया है, इसमें भी अधिवक्ता सहयोग दे सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य हित में अधिवक्ताओं के सुझावों पर राज्य सरकार अमल करेगी।
इस अवसर पर जिन अधिवक्ताओं ने अपने सुझाव एवं विचार रखे उनमें अनुज शर्मा, संजय जैन, जानकी सूर्या, चरण सिंह त्यागी, युद्धवीर सिंह, नीरज पांडे, पंकज पुरोहित, नितिन वशिष्ट, प्रमोद पंत, भास्कर जोशी, रमेशचंद्र उपरेती, अरुण सक्सेना, ममता जोशी पंत, वी.के महेश्वरी आदि प्रमुख थे।