देहरादून। संवाददाता। राज्य स्थापना के 19 साल बाद भी भले ही सूबे के नेता और सरकारों द्वारा सूबे की राजधानी पर कोई फैसला न लिया गया हो लेकिन राजधानी के मुद्दे पर सियासी घमासान कभी खत्म नहींं हुआ है। कांग्रेस ने गैरसैंण में राजधानी की नींव तो रख दी लेकिन गैरसैंण की राजधानी का स्वरूप क्या होगा इस पर तकरार जारी है। भाजपा का कहना है कि हम ही तय करेंगे कि गैरसैंण में स्थायी राजधानी हो या अस्थायी।
पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कांग्रेसी सत्ता के दौरान गैरसैंण में राजधानी की नींव रखी थी लेकिन वह भाजपा में चले गये और वर्तमान में सूबे में भाजपा की ही सरकार है। विपक्ष कांग्रेस का आरोप है कि यहां कांग्रेस के कार्यकाल में जो कुछ काम हुए थे वही काम हुए है, उसके बाद कोई काम नहीं हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने अभी कहा कि राजधानी के ढांचागत विकास के लिए 50_60 करोड़ रूपये चाहिए जो सरकार के पास नहीं है। जिसकी वजह से काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है। बहुगुणा ने गैरसैंण राजधानी को पहाड़ के सम्मान व स्वाभिमान से जुड़ा हुआ सवाल बताते हुए कहा कि गैरसैंण से राज्य आंदोलन की जड़े जुड़ी है इसलिए इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। विजय बहुगुणा के बयान पर पलट वार करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि गैरसैंण में जो काम कराये गये वह हमने अपने बूते पर कराये है अब भाजपा की सरकार है तब वह यह क्यों कह रहे है कि संसाधन नहीं है सरकार वहां काम करवाये।
स्थायी व अस्थायी राजधानी के मुद्दे पर भाजपा नेता व विधायक खजानदास का कहना है कि कांग्रेस को इसका क्या हक है कि वह राजधानी पर बात करे। जब उनकी सरकार थी तब उन्होने निर्णय क्यों नहींं लिया था कि गैरसैंण में स्थायी राजधानी हो या अस्थायी। उनका कहना है कि इसका फैसला भाजपा ही करेगी। खैर फैसला होते होते 19 साल बीत चुके है लेकिन फैसला नहीं हो सका है। इसकी भी तिथि तय नहीं है कि राजधानी पर फैसला कब होगा हां इस पर सियासत जरूर होती रही है और आगे भी होती रहेगी।