देहरादून। संवाददाता। उत्तराखंड में अब पिरुल से तारपिन आॉयल और उसके कचरे से बायोफ्यूल तैयार करने की सहमति बनी है। इसके लिए जल्द ही दोनों के बीच एमओयू साइन होगा। सरकार और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम (आईआईपी) के बीच पिरुल से तारपिन आॉयल और उसके कचरे से बायोफ्यूल तैयार करने की सहमति बनी है। इसके लिए दोनों के बीच एमओयू साइन होगा।
राज्य के आठ पहाड़ी जिलों अल्मोड़ा, चमोली, नैनीताल, पौड़ी, रूद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, टिहरी और उत्तरकाशी में पिरुल के कलेक्शन सेंटर स्थापित किए जाएंगे। पिरुल एकत्रित करने वालों को इंसेटिव भी दिया जाएगा। इसके लिए आधुनिक तकनीकि का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके बाद ऑयल और बायोफ्यूल का औद्योगिक क्षेत्र में भी प्रयोग किया जा सकेगा।
इस दौरान सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि यह वेस्ट को बेस्ट में परिवर्तित करने की एक कोशिश है। इससे गर्मियों में पिरुल के जंगलों में वनाग्नि से बचाव होगा। साथ ही जंगल और जीव जंतुओं का भी संरक्षण हो सकेगा। उन्होंने कहा कि प्रथम चरण में हर दिन 40 टन पाइन निडिल की आवश्यकता पड़ेगी। जिसे पंचायतों और गांवों से खरीदा जाएगा। इससे जहां सरकार को राजस्व प्राप्त होगा, वहीं स्थानीय लोगों को बेहतर रोजगार भी मिलेगा। वहीं उद्योगपति श्री महेश मर्चेंट ने बताया कि इसके लिए शीशमबाड़ा में प्लांट बनाना प्रस्तावित है।