देहरादून। कैबिनेट ने परिवहन निगम को खासी राहत दी है। अब परिवहन निगम न केवल 200 नई बसें खरीद सकेगा, बल्कि दो वर्षों से लंबित चल रही 367 कंडक्टरों की भर्ती प्रक्रिया को भी पूरा कर सकेगा। रविवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इस पर मुहर लगाई गई।
परिवहन निगम को अपने बस बेड़े से पुरानी बसें हटा कर 300 नई बसें खरीदनी थी। इसके लिए निगम जो ऋण ले रहा था उसका ब्याज 75 करोड़ रुपये था। यह ब्याज सरकार ने देने के लिए सहमति दी थी, जिसे अब कैबिनेट ने मंजूरी दी है। यह साफ किया है कि पहले चरण में 200 बसें खरीदी जाएंगी और शेष 100 बसें 20-20 कर पांच चरणों में ली जाएंगी। कैबिनेट ने कंडक्टरों की भर्ती को भी मंजूरी दी।
दरअसल, निगम को दो वर्ष पूर्व 424 कंडक्टरों को संविदा के आधार पर भर्ती करने की अनुमति मिल चुकी थी। यह मामला कोर्ट में भी गया। बीते वर्ष यानी अप्रैल 2018 में परिवहन निगम ने लिखित परीक्षा में सफल 367 अभ्यर्थियों को देहरादून, नैनीताल व टनकपुर मंडल में भर्ती करने प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी। इस बीच संविदा कर्मियों के मसले पर हाईकोर्ट के निर्णय के क्रम में शासन ने अप्रैल के अंत में ही सभी विभागों में संविदा भर्ती पर रोक लगा दी थी। तब से ही यह रोक प्रभावी है, जिसे आज कैबिनेट ने हटा दिया है।
चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड में मानदेय तय
कैबिनेट ने अब चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड के माध्यम से आयोजित होने वाली परीक्षाओं में आने वालों के लिए भी मानदेय की दरें तय कर दी हैं। अभी तक दरें तय नहीं थी। इसके अनुसार विषय विशेषज्ञ को 2500 रुपये, समन्वयक अथवा पर्यवेक्षक को 1500, सहायक व आंतरिक पर्यवेक्षक को 1000, अतिरिक्त पर्यवेक्षक को 800, पेपर सेटर को 3250 रुपये प्रति प्रश्नपत्र, मॉडरेटर को 2500 रुपये, उत्तर पुस्तिका जांचने वालों को 35 उत्तर पुस्तिका के लिए 1500 रुपये अथवा 70 रुपये प्रति पुस्तिका, 35 से कम उत्तर पुस्तिका के लिए 2500 रुपये दिए जाएंगे। प्रश्न कार्यालय व बोर्ड सेटरों के लिए 2500 रुपये लिपिक व कर्मचारी को 500 रुपये प्रति पाली व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 350 रुपये प्रतिपाली और 10 रुपये प्रतिकिमी की दर से यात्रा भत्ता दिया जाएगा।
चिकित्सा शिक्षा विभाग में संविदा नियुक्ति पर मुहर
चिकित्सा शिक्षा विभाग में अभी 37 पद रिक्त चल रहे हैं। अभी लोक सेवा चयन आयोग द्वारा इन पर भर्ती की जानी है। भर्ती होने तक कैबिनेट ने विभाग में रिक्त पदों पर एक वर्ष के लिए संविदा पर भर्ती को मंजूरी दे दी है।
ऑल वेदर रोड पर राज्य सरकार की संजीदगी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट चारधाम को जोड़ने वाली 1100 करोड़ से अधिक लागत की ऑल वेदर रोड परियोजना को लेकर राज्य सरकार ने भी और संजीदगी दिखाई है। परियोजना के लिए कार्यदायी संस्थाओं से भूमि की लागत न लिए जाने का कैबिनेट का फैसला इसकी तस्दीक करता है। जाहिर है कि इससे राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने न सिर्फ राहत की सांस ली है, बल्कि अब परियोजना से संबंधित कार्य और तेजी से होंगे और यह तय समय पर आकार ले लेगी।
परियोजना के तहत चारधाम को जोड़ने वाली सड़कों का चैड़ीकरण व सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है। केंद्र पोषित इस परियोजना के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की ओर से भूमि की लागत न लिए जाने का राज्य सरकार से अनुरोध किया था। असल में किसी भी परियोजना में प्रयुक्त होने वाली भूमि की लागत राज्य सरकार संबंधित कार्यदायी संस्थाओं से लेती है।
इस लिहाज से ऑल वेदर रोड से लिया जाने वाला प्रीमियम लगभग साढ़े आठ अरब रुपये बैठ रहा था, जिसे माफ करने का आग्रह किया गया था। प्राधिकरण का तर्क था कि वह राज्य में सड़कों पर यह निवेश कर रहा है। इसका लाभ राज्य के निवासियों के साथ ही चारधाम आने वाले यात्रियों को मिलना है। वर्षभर आवाजाही रहने से इसका फायदा राज्य को ही पहुंचना है। ऐसे में इस पर भूमि की लागत नहीं ली जानी चाहिए। अब राज्य सरकार ने इस पर संजीदगी दिखाते हुए यह राशि न लेने का फैसला लिया है।