पोस्टल बैलेट भी तय करेंगे प्रत्याशियों की किस्मत

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देहरादून। संवाददाता। उत्तराखण्ड में इस बार पोस्टल मतपत्र से खूब वोट की बरसात हुई है। अब यह रिकार्ड पोस्टल मतपत्र किस प्रत्याशी की किस्मत बदलेंगे इसका फैसला भी कल ही होगा। लेकिन इन रिकार्ड संख्या में पहुंचे पोस्टल मतपत्रों को लेकर विपक्ष जरूर सवाल खड़े कर रहा है।

अब तक कितने पोस्टल मतपत्र आ चुके है इसकी कोई निश्चित संख्या नहीं बतायी जा सकती है क्योंकि इनका आना अभी जारी है और कल सुबह आठ बजे तक पहुंचने वाले सभी पोस्टल मतपत्रों को मतगणना में शामिल किया जायेगा। लेकिन अगर अल्मोड़ा सीट पर आज दोपहर तक पहुंचे पोस्टल मतपत्रों की बात करें तो इसकी संख्या 23 हजार बतायी जा रही है इस सीट पर कुल 28728 सर्विस मतदाता है। मगर अब तक 23 हजार से अधिक मत पत्र प्राप्त हो चुके है। जो 80 फीसदी से भी अधिक है। जबकि सूबे में कुल मतदान का प्रतिशत 61 फीसदी के आस पास ही रहा है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि 2014 के चुनाव में मात्र एक हजार के करीब पोस्टल मतपत्र अल्मोड़ा सीट पर आये थे तब क्या यह मान लिया जाये कि बीते साल हजारों के मतान्तर वाली इन सीटों पर यह पोस्टल बैलिट वाले मतदाता किसी भी प्रत्याशी की हार को जीत और जीत को हार में बदलने की ताकत रखते है।

उधर कांग्रेस के एक प्रतिनिधि मंडल ने निर्वाचन अधिकारी से मिलकर बैलिट मतकृपत्रों में धांधली का आरोप लगाते हुए जांच की मांग भी किय है। ज्ञापन में कहा गया है कि मतपत्रों का जो लिफाफा चुनाव आयोग ने भेजा था उसका रंग हल्का ग्रीन था जबकि वापस आने वाले मतपत्र लिफाफों का रंग ब्राउन है। कांग्रेस ने पोस्टल बैलिट के जरिए भी धांधली की आशंका जताते हुए जांच की मांग की है। हालांकि कल इन मतपत्रों की स्क्रींनिंग के बाद ही गिनती की जायेगी। जिसमें धांधली की कम ही संभावना है। लेकिन रिकार्ड मतकृपत्र कई प्रत्याशियों का गणित बिगाड़ सकते है। इसमें कोई संदेह नहीं है और ऐसा 2009 के चुनाव में भी देखा जा चुका है जब विजय बहुगुणा चुनाव हारते हारते बैलिट पत्रों से चुनाव जीत गये थे।

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