एनसीटीई के फैसले के बाद विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों को नौकरी बचाने के लिए छह महीने का विशेष ब्रिज कोर्स करना ही होगा। ब्रिज कोर्स न करने पर वे अयोग्य हो जाएंगे और एक अप्रैल 2019 से उनकी सेवाएं समाप्त कर दी जाएंगी।
देहरादून (संवाददाता) : उत्तराखंड के 13 हजार 175 विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने करारा झटका दे दे दिया है। राज्य सरकार को पत्र भेज एनसीटीई ने विशिष्ट बीटीसी को बैक डेट मान्यता देने से साफ इनकार कर दिया है। एनसीटीई के अंडर सेक्रेटरी डॉ. प्रभु कुमार यादव का पत्र राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) को मिल गया है। इस पत्र में कहा गया है कि अगर उत्तराखंड में विशिष्ट बीटीसी को बैक डेट से मान्यता दी जाती है तो यह एनसीटीई एक्ट का सीधा-सीधा उल्लंघन होगा।
राज्य ने वर्ष 2001 से 2017 तक मान्यता मांगी थी। निदेशक-एआरटी, सीमा जौनसारी ने पत्र की पुष्टि की। एनसीटीई के फैसले के बाद विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों को नौकरी बचाने के लिए छह महीने का विशेष ब्रिज कोर्स करना ही होगा। ब्रिज कोर्स न करने पर वे अयोग्य हो जाएंगे और एक अप्रैल 2019 से उनकी सेवाएं समाप्त कर दी जाएंगी।
लेकिन शिक्षक छह महीने का विशेष ब्रिज कोर्स नहीं करना चाहते। शिक्षक विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों के लिए ब्रिज कोर्स की बाध्यता के खिलाफ प्राथमिक शिक्षक आंदोलन पर अडिग है। संघ अध्यक्ष निर्मला महर, महामंत्री दिग्विजय सिंह चौहान ने शिक्षा निदेशालय में 22 नवंबर से प्रस्तावित आंदोलन का नोटिस भी सौंपा। शिक्षकों ने कहा है कि कोई भी शिक्षक ब्रिज कोर्स और डीएलएड के4 लिए आवेदन नहीं करेगा।
इधर शिक्षा विभाग ने एनसीटीई का पत्र सरकार को भेजते हुए दिशा निर्देश मांगे गए हैं। निदेशक-एआरटी, सीमा जौनसारी ने बताया कि विशिष्ट बीटीसी मान्यता के लिए एक बार फिर से केंद्र सरकार से अनुरोध किया जाएगा