उत्तराखण्ड के राजाजी में बाघों की शिफ्टिंग को केंद्र से मिली हरी झंडी

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देहरादून। संवाददाता। राजस्थान के सरिस्का अभयारण्य और मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व के बाद अब उत्तराखंड के राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघों की शिफ्टिंग की जाएगी। दिल्ली में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में अपर महानिदेशक वन्यजीव के सम्मुख राज्य की ओर से बाघ पुनर्स्थापना योजना को लेकर दिए गए प्रस्तुतीकरण के बाद केंद्र ने इसकी अनुमति जारी कर दी। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) पहले ही इसे हरी झंडी दे चुका है। साथ ही पांच बाघ शिफ्ट करने को तीन करोड़ का बजट भी आवंटित किया गया है। सूबे के प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव डीवीएस खाती के मुताबिक अब इसी माह से शिफ्टिंग की कवायद प्रारंभ कर दी जाएगी।

राजाजी टाइगर रिजर्व के धौलखंड और मोतीचूर क्षेत्र में बाघों के लिए बेहतर वास स्थल है। वहां दो बाघिनें छह साल से एकाकी रह रही हैं। रिजर्व के इस हिस्से में भी बाघों का कुनबा बढ़े, इसके लिए वहां कार्बेट से तीन और हरिद्वार डिवीजन से दो बाघ शिफ्ट किए जाने की योजना है। एनटीसीए से मंजूरी मिलने के बाद वन महकमे ने कसरत तेज की और योजना का पूरा खाका केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के समक्ष रखा। इस कड़ी में सोमवार को अपर महानिदेशक वन्यजीव एमएस नेगी ने दिल्ली में बैठक बुलाई। इसमें राज्य की ओर से प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव डीवीएस खाती और अपर प्रमुख मुख्य वन संरक्षक समीर सिन्हा ने शिरकत की।

प्रमुख वन संरक्षक खाती ने बताया कि बैठक में बाघ शिफ्टिंग योजना पर प्रस्तुतीकरण दिया गया। पूरी योजना और इसे धरातल पर उतारने की कवायद को एडीजी वाइल्डलाइफ के सामने रखा गया। उन्होंने बताया कि पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद इस मामले में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इजाजत दे दी। उन्होंने बताया कि विभाग की तैयारियां पूरी हैं और इसी माह से बाघों शिफ्टिंग शुरू कर दी जाएगी। पहले एक बाघ की शिफ्टिंग की जाएगी और फिर मार्च 2018 तक चार अन्य बाघों की। इनमे तीन मादा और दो नर हैं, जिन्हें चिह्नित किया चुका है। इनके मूवमेंट पर लगातार नजर रखी जा रही है।

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