उत्तराखंड मदरसा बोर्ड अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने दरगाह साबिर में जियारत कर देश उन्नति और शांति के लिए दुआ मांगी। उन्होंने कहा कि मदरसों में वेद और संस्कृत को भी पढ़ाया जाएगा। वहीं, इस बयान का जमीयत उलेमा हिंद ने विरोध किया है।
अध्यक्ष शमून कासमी लंढौरा स्थित एक अरबी मदरसे में एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे थे। इसके बाद देर रात को वह कलियर दरगाह साबिर पाक में जियारत करने के लिए पहुंचे थे। कासमी ने कहा कि साबिर पाक की दरगाह केवल मुस्लिम समुदाय के लिए ही नहीं बल्कि हर धर्म के मानने वाले लोगों के लिए आस्था की प्रतीक है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अल्पसंख्यक वर्ग के लिए धरातल पर योजनाएं बनाकर विकास की राह खोल रहे हैं।वह उत्तराखंड में गाय, गंगा व हिमालय की रक्षा के लिए मुस्लिम समाज से अभियान चलवाएंगे और मदरसों में धार्मिक शिक्षा के साथ योग, वेद और भारतीय महापुरुषों की जीवनी को भी पढ़ाया जाएगा। वहीं, उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष के बयान पर उत्तराखंड जमीयत उलेमा ए हिंद कड़ा विरोध कर रही है।
जमीयत किसी भाषा और इल्म की विरोधी नहीं
जमीयत उलेमा हिंद के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद आरिफ कासमी ने कहा कि उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष ने लंढौरा में जो बयान दिया है। उसमें उन्होंने संस्कृत और वेद को मदरसों के पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात कही है। इसका कड़ा विरोध किया जाता है।
जमीयत किसी भाषा और इल्म की विरोधी नहीं है लेकिन अरबी मदरसों में संस्कृत और वेद की पढ़ाई को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस अवसर पर शायर अफजल मंगलौरी, शफक्कत अली, सनाउल्लाह गाजी, अनीस कस्सार, इमरान देशभक्त, अनीस आदि मौजूद रहे।
वेद और संस्कृत को किसी भी मदरसे पर थोपा नहीं जाएगा। उनका सिर्फ यही मकसद है कि मदरसे के बच्चों को सभी धर्मों के बारे में ज्ञान होना चाहिए। जो वेद और संस्कृत पढ़ना चाहेगा वह पढ़ सकता है। मदरसों में जांच में कोई भी अनियमितता पाई गई तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। -शमून कासमी, अध्यक्ष, मदरसा बोर्ड उत्तराखंड’