बीएचईएल, हरिद्वार एक बार फिर से भारतीय नौसेना के लिए दो अत्याधुनिक गन तैयार कर रहा है। प्रबंधन की माने तो अगले कुछ दिनों में और गन बनाने का आर्डर भेल को मिलने की प्रबल संभावना है। दो अत्याधुनिक गन के नौसेना के बेड़े में शामिल होने के बाद नौसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी। विश्व में जो देश इस गन का इस्तेमाल कर भी रहे हैं वह दूसरे देश अमेरिका आदि देशों से मंगवाते हैं। लेकिन भारतीय नौ सेना के बेड़े में भारत की तकनीक से बनी दोनों गने शामिल की जायेगी। लगभग दो दशकों से बीएचईएल नौसेना को अपनी सेवाएं देता आ रहा है। दो दशकों में बीएचईएल ने भारतीय नौसेना के लिए सुपर रैपिड गन माउंटेन 76-62 का निर्माण कर रहा है।हल्की और सर्वो कंट्रोल्ड गन एयर डिफेंस और एंटी सरफेस भूमिका में बेहतर प्रदर्शन के साथ रैपिड फायर भी करेगी। इस गन के नौसेना में शामिल होने के बाद नौसेना की शक्ति कई गुना और बढ़ जाएगी। सुपर रैपिड गन माउंटेन की क्षमता को और बढ़ाते हुए लगभग दोगुना किया जा रहा है। जिसके लिए बीएचईएल का इटली की एक कंपनी के साथ समझौता भी हुआ है। प्रबंधन की माने तो बीएचईएल को जल्द और गन बनाने का का ऑडर भी मिलने वाला है। कई किस्मों में बनने वाली इन गनों की मारक क्षमता और क्वालिटी में और बेहतर होंगी। जिनकी दूर तक मारक क्षमता बेहतर होगी। एक तरह से भेल नौ सेना के लिए वर्ल्ड क्वालिटी का प्रोडक्ट बना रहा हैं।
ऊर्जा के क्षेत्र में मिले बड़े आर्डर
नौसेना के अलावा ऊर्जा के क्षेत्र में भी भेल को 70 मेगा वाट के 6 सेट का ऑर्डर प्राप्त हुआ है। हाइड्रो पावर सेक्टर ने भी हरिद्वार बीएचएल को न्यूक्लियर टरबाइन बनाने का ऑर्डर दिया है। जिसका काम जोरों शोरों पर बीएचईएल हरिद्वार में चल रहा है। पहले से भेल द्वारा निर्मित 47 गन नौसेना द्वारा उपयोग में लाई जा रही है। भेल प्रबंधन को और अधिक गन का ऑडर मिलने की भी संभावना है।
कोरोना काल में भी निभाया कर्तव्य
नौ सेना के लिए आधुनिक हथियार बनाने के साथ ही कोरोना काल में भेल द्वारा अपना कर्तव्य का निर्वहन पूरी तरह से किया गया। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, भोपाल, एनसीआर अन्य कई राज्यों में बीएचपीएल द्वारा बड़े पैमाने पर ऑक्सीजन की सप्लाई भी की गई।