देहरादून। संवाददाता। अपनों का दाहसंस्कार करना धर्म मान्यताओं में निहित है। मगर बड़े भाई की याद में हजारों लोगों का पिंडदान कर उनकी आत्मशांति की ईश्वर से कामना करने वालें कुछ लोग आज भी धरती पर है। मध्यप्रदेश के रतलाम का यह शख्स दो दशक से पूरी जिम्मेदारी के साथ यह काम करता आ रहा है। नाम कमाने के लिए नहीं, बल्कि अपने खोए हुए भाई के लिए।
सुरेश सिंह तंवर नामक इस शख्स ने इस साल सौ से अधिक लावारिस शवों को मुखाग्नि दे दाह संस्कार संपन्न किया था। जिनकी अस्थियों को विसर्जित करने वह शुक्रवार को हरिद्वार पहुंचे। विधिविधान के साथ विसर्जन कर आत्माओं की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान भी किया।
दरअसल, 24 साल पहले सुरेश के बड़े भाई सोहन सिंह लापता हो गए थे। वह बताते हैं कि काफी तलाश के बाद भी भाई का कुछ पता नहीं चला। फिर सोचा भाई न जाने किस हाल में होंगे। सुरेश कहते हैं कि बेघरबार, गरीब, लावारिस लोगों की मदद कर वह एक तरह से इसे अपने खोए हुए भाई के प्रति दायित्वों का परोक्ष निवर्हन मानते हैं।
सुरेश ने बताया कि वह अब तक वह 1038 लावारिस शवों का दाह संस्कार कर चुके हैं। हर वर्ष श्राद्ध पक्ष में हरिद्वार आकर ही विसर्जन और तर्पण करते हैं। विसर्जन हरकी पैड़ी में करते हैं और तर्पण व पिंडदान करने शांतिकुंज आते हैं। वह कहते हैं कि मोक्षदायिनी गंगा से मृतकों की आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना कर खुद को भी सुकून मिलता है।