- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा समाज को अतीत से जोड़ती हैं किताबें.
- स्वयं के लिए न जीकर संस्था के लिए जिए। स्वयं को पिघलाकर देश के लिए काम किया
- पुस्तकों के माध्यम से ऐसे महान व्यक्तियों के जीवन के बारे में, जो समाज के लिए समर्पित थे, को जानने और पहचानने का मौका मिलेगा
लखनऊ (इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केन्द्र) : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पाँच पूर्व सरसंघचालकों के व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व पर केंद्रित पुस्तकों ‘हमारे डॉ. हेडगेवार जी’, ‘हमारे श्रीगुरुजी’, ‘हमारे बालासाहेब देवरस’, ‘हमारे रज्जू भय्या’ तथा ‘हमारे सुदर्शनजी’ का लोकापर्ण भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद अमित भाई शाह ने किया। यहाँ सांइटिफिक कन्वेंशन सेंटर,किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ में प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इन पुस्तकों के लोकार्पण के अवसर पर मुख्य अतिथि थे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं राज्यपाल रामनाइक। मुख्य वक्ता थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उत्तर-पश्चिम क्षेत्र के संघचालक प्रो. भगवती प्रसाद शर्मा।
लोकापर्ण के बाद राज्यपाल ने अपने उदबोधन में कहा कि पाँचों सरसंघचालकों से नजदीक का संबंध रहा है और उनके दिये संस्कारों से जीवन में बहुत कुछ सीखने को मिला है। डॉ. हेडगेवार से 6 वर्ष की उम्र में संपर्क में आया तथा छोटी उम्र में भी बहुत कुछ सीखने का अवसर मिला। गुरु गोलवलकर जी का सान्निध्य प्राप्त हुआ। प्रचारक बनना चाहता था, पर पिता के असामयिक निधन से घर की जिम्मेदारी के कारण गोलवलकर गुरुजी की सलाह पर सरकारी सेवा आरंभ की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि किताबों के प्रकाशन से समाज को अतीत से जोड़ने का प्रयास किया गया है। प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पाँच किताबों का संग्रह समाज को एक दृष्टि के साथ-साथ व्यक्तिवादी, जातिवादी सोच से अलग हटकर राष्ट्रधर्म की रक्षा करने का संदेश भी देता है। पुस्तकों के माध्यम से ऐसे महान व्यक्तियों के जीवन के बारे में, जो समाज के लिए समर्पित थे, को जानने और पहचानने का मौका मिलेगा।
भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद अमित शाह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि डॉ. हेडगेवार, गुरु गोलवलकर, बालासाहेब देवरस, रज्जू भैया, सुदर्शन जी ने अपने जीवन में अनेक उतार चढ़ाव देखे हैं। ये लोग स्वयं के लिए न जीकर संस्था के लिए जिए। स्वयं को पिघलाकर देश के लिए काम किया। ऐसे लोगों ने समाज के लिए जीना अपना धर्म माना तथा उज्जवल परंपरा की स्थापना की। पाँचों सरसंघचालक ऐसे विद्वान थे कि कई संत भी स्वयं को उनके सामने बौना समझते थे।
प्रो. भगवती प्रसाद शर्मा तथा श्री बलदेव शर्मा ने भी अपने विचार रखे। इस भव्य समारोह में बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी, चिंतक, विचारक, साहित्यकार एवं पत्रकारों ने भाग लिया। डॉ. श्याम बहादुर शर्मा ने ‘हमारे डॉ. हेडगेवार जी’, श्री संदीप देव ने ‘हमारे गुरुजी’, श्री रामबहादुर राय एवं श्री राजीव गुप्ता ने ‘हमारे बालासाहेब देवरस’, श्री देवेंद्र स्वरूप एवं श्री बृजकिशोर शर्मा ने ‘हमारे रज्जू भैया’ तथा श्री बलदेव शर्मा ने ‘हमारे सुदर्शन जी’, नामक पुस्तकों की रचना की है।