अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् का 11 नवम्बर को वामपंथी हिंसा के विरुद्ध केरल में एक महारैली का ऐलान; रैली में देश भर के 50 हज़ार एबीवीपी कार्यकर्ता होंगे शामिल

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  • महारैली का पोस्टर हुआ जारी 
  • वामपंथी हिंसा के विरुद्ध तिरुवनंथपुरम में ऐतिहासिक रैली से आवाज उठाएंगे देश भर के विद्यार्थी
  • केरल प्रदेश के सभी जिलों से इसमें विद्यार्थी भी शामिल होंगे

नई दिल्ली (इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केन्द्र) : आज दिल्ली स्थित प्रेस क्लब में एबीवीपी द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय महामंत्री विनय बिद्रे ने 11 नवम्बर को वामपंथी हिंसा के विरुद्ध केरल में एक महारैली का ऐलान करते हुए इसका पोस्टर जारी किया। उन्होंने बताया कि इस रैली में देश के सभी राज्यों से 50 हज़ार एबीवीपी कार्यकर्ता व सदस्य विद्यार्थी केरल में राष्ट्रवादी कार्यकर्ताओं के समर्थन में शामिल होंगे। केरल प्रदेश के सभी जिलों से इसमें विद्यार्थी भी शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि केरल जैसे खूबसूरत प्रदेश में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया-मार्क्सिस्ट (सीपीएम) अपने विरोधी विचारधारा वालों को जान से मारकर कलंकित कर रही है। जो भूमि प्रकृति द्वारा अन्यतम सुन्दरता से परिपूर्ण है, उस ” God’s own country” में सीपीएम के गुंडे अपनी सरकार के प्रश्रय में दानवी हिंसाचार कर रहे हैं। सीपीएम द्वारा चलाये जा रहे इस हिंसाचार और तानाशाही प्रवित्ति के विरुद्ध एबीवीपी के कार्यकर्ता लगातार संघर्ष कर रहे हैं। जब भी सीपीएम की सरकार आती है, हमले बढ़ जाते हैं। खासकर कण्णूर जिले में, जो स्वयं मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन का गृह जनपद है, तो हिंसा की पराकाष्ठा हो चुकी है। एबीवीपी अब अपने और कार्यकर्ताओं पर हमले सहन नहीं करेगी।

इस वार्ता हेतु केरल से आये एबीवीपी के केरल प्रदेश मंत्री श्याम राज ने कहा कि राष्ट्रवादी विचारधारा के कार्यकर्ताओं के मन में भय उत्पन्न करने की साज़िश के तहत सीपीएम के गुंडे हत्या करने के घृणित तरीके अपनाते हैं। कभी भरी क्लास में विद्यार्थियों के सामने मास्टर जयकृष्णन की हत्या की जाती है तो कभी पम्पा नदी में अपनी जान बचाकर भागे तीन छात्रों (सुजीत, किम और अनु) पर पत्थर बरसाकर उनको मौत के घात उतारा जाता है। सीपीएम ने हिंसाचार में राक्षसी प्रवित्तियां अपनाई हैं। समय आ चुका है कि अब इस प्रकार की तानाशाही और अत्याचार के खिलाफ और अधिक मुखर होकर इनके सच्चे रूप को जनमानस के सामने लाया जाए ताकि केरल के सामान्य लोग जो इस हिंसाचार से पीड़ित हैं, उनको भी इससे बचाया जा सके।

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