गडेरी उत्पादक गांवों में कोल्ड स्टोर बनाने की मांग शुरू हो गई है। इन क्षेत्रों में गडेरी के अलावा बड़ी मात्रा में मौसमी फल भी पैदा होते हैं। कोल्ड स्टोर न होने से अधिकांश काश्तकारों की सब्जी और फल प्रतिवर्ष सड़ जाते हैं। इससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।
चम्पावत (संवाददाता) : जिले के घाटी वाले क्षेत्रों में इस बार गडेरी की बम्पर पैदावार है। लेकिन उत्पादकों को बाजार नहीं मिलने से उन्हें मायूस होना पड़ रहा है। लोग औने पौने दाम पर गडेरी बेचने को मजबूर हैं। समय पर माल न बिक पाने से कई काश्तकारों की गडेरी खराब हो गई है। कई उत्पादक सड़क सुविधा न होने से उत्पादित माल को बाजार नहीं ला पा रहे हैं। अधिक उत्पादन के कारण गडेरी का बाजार भाव भी पिछले वर्ष की तुलना में काफी कम है। बाजार में इस समय 20 से 25 रुपया किलो बिक रही है। जबकि पिछले वर्ष कम उत्पादन होने के कारण इसकी कीमत 40 से 50 रुपया प्रति किलो थी। जिले के गर्म इलाकों में इसकी काफी अधिक पैदावार होती है। पोथ ग्राम सभा के फुरियाजाला और कुकडौनी तोक, बगेड़ी ग्राम सभा का हेडिंगा तोक और साइली ग्राम सभा के अर्न्तगत सल्ली के काश्तकार सीजन में गडेरी बेचकर वर्ष भर तक की अपनी आजीविका कमा लेते हैं। इसके अलावा कुकडौनी, चल्थी, सूखीढांग, अमोड़ी आदि क्षेत्रों में गडेरी काफी अधिक मात्रा में पैदा की जाती है। बाजार में गडेरी की मांग हमेशा रहती है, लेकिन इस बार पैदावार काफी अधिक होने से काश्तकारों को उसकी कीमत नहीं मिल पा रही है। स्वाद में लाजवाब और सेहत के लिए मुफीद गडेरी का उपयोग जाड़े के समय सब्जी के रूप में अधिक किया जाता है। गडेरी उत्पादक किसान रमेश सिंह, कैलाश राम, दीपा देवी, हरिकृष्ण, जीवंती देवी आदि ने बताया कि माल कम बिकने से उनकी गडेरी खराब होनी शुरू हो गई है। अधिक उत्पादन के कारण बाजार भाव गिर गया है। इसका फायदा बिचौलिए उठा रहे हैं।
कोल्ड स्टोर बनाने की मांग
गडेरी उत्पादक गांवों में कोल्ड स्टोर बनाने की मांग शुरू हो गई है। इन क्षेत्रों में गडेरी के अलावा बड़ी मात्रा में मौसमी फल भी पैदा होते हैं। कोल्ड स्टोर न होने से अधिकांश काश्तकारों की सब्जी और फल प्रतिवर्ष सड़ जाते हैं। इससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। खीमानन्द, टीकाराम, महेश चन्द्र, दिवाकर जोशी आदि ने गडेरी उत्पादक गांवों के बीच में कोल्ड स्टोर बनाने की मांग की है।