अपने मायके मुखबा गांव पहुंची माँ यमुना की डोली; मूर्ति हुई स्थापित; शीतकाल में यहीं होगी पूजा-अर्चना

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मुखबा पहुंचने के बाद गंगा मंदिर में विधिवत पूजा अर्चना के साथ गंगा मैया की मूर्ति स्थापित की गई। जहां श्रद्धालु अब शीतकाल में आगामी छह माह तक मां गंगा के दर्शन कर सकेंगे।

उत्तरकाशी (संवाददाता) : गंगोत्री धाम के कपाट भी कल शुक्रवार को विधि विधान के साथ बंद हो गए। अब माँ यमुना की पूजा पुरे शीतकाल में उनके मायके मुखवा में होगी।कल कपट बंद होने के बाद यमुनोत्री से रवाना हुई मां गंगा की डोली, भैरव मंदिर, देवी मंदिर मारकंडेय मंदिर होते हुए आज  शनिवार को जब अपने मायके मुखबा गांव पहुंची तो स्थानीय ग्रामीणों ने जयकारों के साथ धूप, दीप और पुष्प अर्पित कर मां गंगा का भव्य स्वागत किया। मुखबा पहुंचने के बाद गंगा मंदिर में विधिवत पूजा अर्चना के साथ गंगा मैया की मूर्ति स्थापित की गई। जहां श्रद्धालु अब शीतकाल में आगामी छह माह तक मां गंगा के दर्शन कर सकेंगे।

विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री धाम के कपाट शुक्रवार को सुबह 11.40 मिनट पर श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए गए थे। जिसके बाद मां गंगा की डोली समेश्वर देवता की अगवाई में गंगोत्री के रावलों के साथ मुखबा गांव के लिए रवाना हुई थी। देर शाम को मां की डोली ने मुखबा से पूर्व स्थित देवी मंदिर में रात्री विश्राम किया। जहां पर मुखबा के ग्रामीणों ने रातभर भजन कीर्तन कर मां गंगा के गुणगान गाये। वहीं शनिवार को सुबह मंदिर में भंडारा एवं प्रसाद वितरण करने के बाद मां गंगा की डोली अपने भक्तों के साथ 12 बजकर 30 मिनट पर मुखबा के लिए रवाना हुई। जो दोपहर 2: 30 पर मुखबा गांव पहुंची।

जहां पर मां गंगा का ग्रामीणों ने धूप, नैवैध्य, पुष्प मालाओं एवं जयकारों के साथ मां गंगा भव्य स्वागत किया। इसके बाद मां गंगा की डोली गांव में स्थित गंगा मंदिर में स्थापित की गई। जहां अगले छह माह के शीतकाल के दौरान देश-विदेश के श्रद्धालु मां गंगा के दर्शन कर सकेंगे। पुरोहित सभा के अध्यक्ष पवन सेमवाल ने बताया कि मुखबा में आज से पांडव नृत्य का आयोजन किया जायेगा। जो आगामी तीन दिन तक चलेगा। जिसमें सभी ग्रामीण मौजूद रहेंगे। इस मौके पर गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष मुकेश सेमवाल, सचिव सुरेश सेमवाल, गंगा पुरोहित सभा के अध्यक्ष पवन सेमवाल, राजेश सेमवाल, संजीव सेमवाल आदि सैकड़ों ग्रामीण मौजूद थे।

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