सेहत के मामले में नैनीताल प्रदेश में सबसे पहले स्थान में है साथ ही लोगों को सबसे अधिक योजनाओं का लाभ मिला है। वंही सरकार की हेल्थ इंडेक्स में पहला स्थान प्राप्त किया है जहां प्रदेश की राजधानी देहरादून सातवें नंबर पर है। आम आदमी अपनी आमदनी का 9.4 फीसदी हिस्सा हर साल स्वास्थ्य पर खर्चता हैं वंही पहाड़ों में आज भी अच्छी स्वास्थ्य सुविधा बड़ी समस्या बनी हुई है।
हल्द्वानी। मानव विकास सूचकांक (हेल्थ इंडेक्स) में नैनीताल सबसे सेहतमंद जिला बनकर उभरा है। जिले में स्वास्थ्य विभाग की बेहतर कार्यप्रणाली के चलते नैनीताल के लोगों को योजनाओं का सबसे अधिक लाभ मिला है। इस सूची में चमोली जिला सबसे पिछड़ा है। सरकार ने छह बिंदुओं की जांच के बाद हेल्थ इंडेक्स रैंकिंग 2018 जारी की है।
इंडेक्स तैयार करने में छह बिंदुओं को मानक बनाया गया है। इसमें सरकारी अस्पतालों में होने वाले प्रसव प्रतिशत, बच्चों का टीकाकरण, आंगनबाड़ी में पहुंचे बच्चे, सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं के लाभार्थी, सरकारी अस्पतालों में गंभीर बीमारी के इलाज और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति को मानक बनाया गया है। इन सभी बिंदओं पर कुमाऊं का प्रदर्शन गढ़वाल के मुकाबले काफी बेहतर है। पहले चार स्थानों पर नैनीताल के बाद अल्मोड़ा, चंपावत, बागेश्वर का नंबर है। राजधानी देहरादून का सातवां नंबर है।
महज 2 फीसदी लोगों का निजी स्वास्थ्य बीमा
प्रदेश की 49 फीसदी आबादी सरकारी स्वास्थ्य बीमा योजना के दायरे में है। सिर्फ दो फीसदी लोगों ने निजी कंपनी से अपना स्वास्थ्य बीमा कराया है। ढाई फीसदी लोगों के पास अपनी कंपनी का स्वास्थ्य बीमा है। 15 फीसदी से अधिक लोग ईसीएच और सीजीएचएस के दायरे में हैं।
कमाई का 9.4 फीसदी सेहत पर खर्च
प्रदेश में हर व्यक्ति अपनी आमदनी का 9.4 फीसदी हिस्सा हर साल सेहत पर खर्च कर रहा है। प्रदेश में प्रति व्यक्ति औसतन सेहत पर खर्च 3740 रुपए हो चुका है। पहाड़ों में अच्छी स्वास्थ्य सुविधा अब भी बड़ी समस्या बनी हुई है।
13 डॉक्टर एक लाख आबादी पर
प्रदेश में एक लाख की आबादी पर केवल 13 डॉक्टर, 38 पैरामेडिकल स्टाफ और 1032 बेड ही उपलब्ध है। प्रदेश में फिजिशियन के 93, सर्जन 92 और बालरोग विशेषज्ञ के 82 फीसदी पद खाली हैं। यह सरकारी आंकड़े खुद बताते हैं कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं में कोई सुधार नहीं हुआ है।