पिथौरागढ़। उत्तराखंड में कड़ाके की ठंड पड़ने लगी है। लगातार हो रही बर्फबारी से तापमान माइनस में पहुंच गया है। वहीं, तापमान गिरने से यहां जल स्रोत जमने लगे हैं। ठंड बढ़ने के साथ ही उच्च हिमालय में 12 से 13 हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर जल स्रोत के जमने का सिलसिला जारी हो चुका है।
इस वर्ष अभी तक हिमपात कम होने से 10 हजार फीट तक की ऊंचाई में जल स्रोतों के जमने का सिलसिला जारी नहीं हुआ है। वहीं पाइपलाइन जमने से पेयजल आपूर्ति प्रभावित हो रही है। अमूमन 15 दिसंबर के आसपास से तापमान में तेजी से गिरावट आती है।
उच्च हिमालय में अब तक चार बार हो चुकी है बर्फबारी
उच्च हिमालय में स्रोतों और सरोवरों का पानी जम जाता है। इस बार अक्टूबर से अभी तक चार बार हिमपात हो चुका है, लेकिन भारी हिमपात अभी तक नहीं हुआ है। उच्च हिमालय में तापमान माइनस से 10 से कम हो जाता है। ऐसे में स्रोतों का पानी जम जाता है। चीन सीमा से लगी व्यास घाटी में अभी गुंजी, कालापानी तक वाहन संचालन जारी है। अलबत्ता इन स्थानों पर पाइप लाइन जमने लगी है। पाइप लाइन में पानी जमने से पेयजल आपूर्ति प्रभावित है।
तालों के जलने से पेयजल आपूर्ति प्रभावित
स्रोत और तालों के जमने से पेयजल आपूर्ति प्रभावित हो रही है। अग्रिम चौकियों पर तैनात जवानों व बीआरओ को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 12 हजार फीट से अधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर तापमान माइनस 8 से 10 डिग्री पहुंच चुका है। व्यास घाटी में सबसे कम तापमान कुटी में माइनस 5 डिग्री पहुंच चुका है।
माइनस में पहुंच रहा है तापमान
व्यास व दारमा के अन्य गांवों में भी रात का तापमान माइनस चार और माइनस तीन तक पहुंचने लगा है। मुनस्यारी की जोहार घाटी में मिलम, लास्पा आदि स्थानों पर भी पाइप लाइन जम चुकी है। जिसके चलते सुरक्षा बलों सहित बीआरओ को पानी के लिए परेशानी झेलनी पड़ रही है।