राहुल गांधी मोदी की इमेज को अपने लिए बड़ी बाधा मान कर उसे ख़तम करने का दावा कर रहे हैं।
राहुल का कहते हैं मोदी की ताकत उनकी इमेज है, जिसे मैं खत्म कर दूंगा।
लेकिन इस चक्कर में उनकी इमेज का फलूदा बन रहा है। वे स्वं कितने दागदार हैं, इसका रोज खुलाशा हो रहा हैं। ऐसे में राहुल मोदी का क्या बिगाड़ पाएंगे सोचने की बात है।
नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को राफेल पर बोलते हुए आपने कई बार सुना-देखा होगा। संभव है कि आपकी आंखें सूज गई होंगी और कान पक गए होंगे। राहुल गांधी मोदी की इमेज को अपने लिए बड़ी बाधा मान कर उसे ख़तम करने का दावा कर रहे हैं। राहुल कहते हैं मोदी की ताकत उनकी इमेज है, जिसे मैं खत्म कर दूंगा। लेकिन इस चक्कर में उनकी इमेज का फलूदा बन रहा है। वे स्वं कितने दागदार हैं, इसका रोज खुलाशा हो रहा हैं। ऐसे में राहुल मोदी का क्या बिगाड़ पाएंगे सोचने की बात है।
राहुल गांधी के सहयोगी को पहुंचा फायदा
एक समाचार पत्र में छपी खबर के मुताबिक, राहुल गांधी के व्यावसायिक सहयोगी रहे यूलरिक मैकनाइट को कांग्रेस की सरकार में ऑफसेट्स डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट के जरिए फायदा पहुंचाया गया है। यूलरिक मैकनाइट कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की ब्रिटिश कंपनी बैकोप्स यूके के को-प्रमोटर थे। इसमें यूलरिक मैकनाइट की हिस्सेदारी 35 फीसदी थी, जबकि राहुल गांधी की हिस्सेदारी 65 फीसदी थी।
2003 में बनी कंपनी, 2009 में हुई बंद
2003 में बैकोप्स कंपनी शुरू हुई थी, और 2009 में इस कंपनी को बंद कर दिया गया। साल 2011 में यूलरिक मैकनाइट ने फ्रांस की रक्षा सामानों की आपूर्ति करने वाली कंपनी नेवल ग्रुप से स्कॉर्पियन सबमरीन को लेकर ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया। दस्तावेजों के मुताबिक यूपीए सरकार के दौरान राहुल गांधी के पूर्व बिजनेस पार्टनर यूलरिक मैकनाइट की सहयोगी कंपनियों को फ्रांस की नेवल ग्रुप कंपनी के ऑफसेट पार्टनर के रूप में रक्षा कॉन्ट्रैक्ट हासिल हुआ।
चुनावी हलफनामे में कंपनी का जिक्र, बहन प्रियंका सह निदेशक
साल 2004 में राहुल गांधी जब अमेठी से चुनाव लड़ रहे थे तब उन्होंने चुनावी हलफनामा दाखिल किया था, जिसमें उन्होंने बैकोप्स यूरोप की चल संपत्ति का जिक्र किया था। इस चल संपत्ति में बैकोप्स यूरोप के तीन बैंक अकाउंट में जमा धनराशि भी शामिल थी। इसके बाद यह कंपनी फरवरी 2009 में बंद कर दी गई थी। इसके अलावा राहुल गांधी बैकोप्स कंपनी के नाम की दूसरी कंपनी यानी बैकोप्स सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड से भी जुड़े रहे। इस कंपनी में उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा सह-निदेशक के पद पर रहीं।
राहुल गांधी ने अपने साल 2004 के चुनावी हलफनामे में घोषित किया था कि भारतीय कंपनी बैकोप्स सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में उनकी 83 फीसदी हिस्सेदारी है। राहुल गांधी ने अपने चुनावी हलफनामे में यह भी बताया था कि उन्होंने इस कंपनी में दो लाख 50 हजार रुपये का निवेश किया है। यह कंपनी साल 2002 में बनाई गई थी, लेकिन बाद में इसको भी बंद कर दिया गया। इस कंपनी ने अपना अंतिम रिटर्न जून 2010 में दाखिल किया।
यह डील स्कॉर्पीन सबमरीन के अहम कलपुर्जों की सप्लाई करने के लिए की गई थी। इन स्कॉर्पीन सबमरीन का निर्माण मुंबई के मजगों डॉक लिमिटेड (एमडीएल) में किया जा रहा था। फ्रांस की कंपनी नेवल ग्रुप को एमडीएल के साथ मिलकर 6 स्कॉर्पीन सबमरीन बनाने की डील मिली थी। यह डील करीब 20 हजार करोड़ रुपये की थी।
साल 2011 में भारतीय कंपनी फ्लैश फोर्ज ने ब्रिटेन की ऑप्टिकल आर्मर्ड लिमिटेड का अधिग्रहण किया। इसके बाद अगले साल नंबर 2012 में फ्लैश फोर्ज कंपनी के दो डायरेक्टरों को ऑप्टिकल आर्मर्ड लिमिटेड में डायरेक्टरशिप दे दी गई थी। 8 नवंबर 2012 को इन दोनों ने डायरेक्टरशिप का भार संभाल लिया। इसके साथ ही यूलरिक मैकनाइट को भी ऑप्टिकल आर्मर्ड लिमिटेड का डायरेक्टर बना दिया गया। इतना ही नहीं, साल 2014 में ऑप्टिकल आर्मर्ड लिमिटेड द्वारा दाखिल रिटर्न के मुताबिक कंपनी ने यूलरिक मैकनाइट को 4.9 फीसदी शेयर भी अलॉट कर दिया था।
इसके बाद साल 2013 में फ्लैश फोर्ज ने ब्रिटेन की एक दूसरी कंपनी ‘कंपोजिट रेसिन डेवलपमेंट लिमिटेड’ का अधिग्रहण कर लिया। इसके बाद यूलरिक मैकनाइट को इस दूसरी कंपनी का भी डायरेक्टर बना दिया गया। मैकनाइट के साथ फ्लैश फोर्ज लिमिटेड के दो डायरेक्टर को भी ‘कंपोजिट रेसिन डेवलपमेंट लिमिटेड’ का डायरेक्टर बनाया गया।
वहीं इस मामले पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने ट्वीट कर और जेटली ने बकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा। जेटली ने चुटकी लेते हुए कहा कि जब कोई दूसरों पर उंगली उठाता हैं तो चार अपनी तरफ रहती हैं।
ऐसी क्या वजह है कि वे गंभीर मसलों पर चुप्पी साध लेते हैं। इस बैकऑफ का मतलब क्या होता है। कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व इसका शीघ्र से शीघ्र जवाब दे।
अरुण जेटली का यह भी कहना है कि कंपनी के कोई मैन्यूफेक्चरिंग यूनिट नहीं हैं. ये एक तरह से लाइजनिंग करने वाली कंपनी है. यानी हम प्रभाव से आपका काम कराएंगे और बदले में पैसा लेंगे। ये इसका उद्देश्य था। अरुण जेटली ने कहा, चुप रहने का अधिकार किसी क्रिमिनल केस में मुलजिम को होता है, राजनीतिक नेताओं को ये अधिकार उपलब्ध नहीं है।
कुछ दिनों पूर्व राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट के नाम का सहारा लेकर राजनीति खेलने वाले माफ़ी मांगने वाले राहुल गांधी ने कहा था कि ने भावावेश में आकर उन्होंने ऐसा बोल दिया था। अब इस विषय पर राहुल को भावावेश में नहीं बल्कि पूरे होशोहवास में इस विषय की सच्चाई बतानी चाहिए। अपने घोषणा पत्र में देश के लोगों को ‘न्याय’ दिलाने की बात करने वाले राहुल गांधी ने अपनी सरकार में ‘अन्याय’ कर चुके हैं।