देहरादून। संवाददाता। रस्सी जलकर राख हो गयी लेकिन बल नहीं गया, सूबे की कांग्रेस की हालत इस कहावत जैसी ही है। प्रदेश कांग्रेस नेताओं के बीच कद और अहम की लड़ाई ने तो बड़ीकृबड़ी चुनावी असफलता के बाद भी थमने का नाम नहीं ले रही है और न पार्टी में बड़े विभाजन का कोई असर इन नेताओं पर होता दिख रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत आज अपनी एकला चलो की नीति पर चलते हुए गांधी पार्क में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने एक घंटे के प्रायश्चित मौन पर क्या बैठे नेता विपक्ष इंदिरा हृदयेश का पारा आसमान पर पहुंच गया और उन्होने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को नसीहत देते हुए यहंा तक कह डाला कि वह राजनीति के अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुके है अब तो कुछ अच्छा काम कर लें।
इंदिरा हृदयेश ने कहा कि बहुत हो चुका वह पूर्व मुख्यमंत्री है अब तो वह अपनी अलग खिचड़ी पकाना बंद करें। उन्होने कहा कि पार्टी और संगठन के कार्यक्रमों में भाग लेने से उनका कद छोटा नहीं हो जायेगा। न पार्टी की बात सुनना और न संगठन के साथ चलना ठीक नहीं है। मैं बड़ा तू छोटा, यह बहुत हो चुका है कल जब वह चुनाव लड़ रहे थे तो हम सभी उनके साथ खड़े थे। पार्टी संगठन के साथ चलने में ही सबकी भलाई है। हरीश रावत को चाहिए कि वह पार्टी के अम्ब्रेला के नीचे आये।
उन्होने कहा कि अब वह राजनीति के अंतिम पड़ाव में पहुंच चुके है, मुख्यमंत्री पद पर रह चुके है उन्हे अब यह सब बंद कर देना चाहिए। हृदयेश ने यह बात आज उस समय कही जब हरीश रावत प्रदेश कांग्रेस संगठन के पूर्व घोषित मोदी के पुतला दहन कार्यक्रम में शामिल न होकर अपने समर्थकों के साथ टिहरी के श्रीकोट के दलित युवक हत्याकांड को लेकर गांधी पार्क में एक घंटे के मौन व्रत पर बैठे थे। यहंा यह भी उल्लेखनीय है कि कांग्रेस इन मतभेदों के कारण 2016 में विभाजित हो चुकी है। पूर्व सीएम विजय बहुगुणा जब अपने दर्जन भर मंत्री व समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले गये थे। इसके बाद कांग्रेस में पहली पंक्ति के गिने चुने चेहरे ही बचे है। लेकिन विधान सभा चुनाव में करारी हार के बाद भी कांग्रेस नेताओं के बीच कद और अहम की यह लड़ाई लगातार जारी है। जिसके कारण कांग्रेस को भारी नुकसान हुआ है। लेकिन इसके बाद भी यह जंग थमती नहीं दिख रही है।