जोशीमठ की धर्मा देवी बनी मिशाल;चौलाई के लड्डू बने स्वरोजगार का आधार

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  • धर्मा देवी ने सबसे पहले अपने घर पर ही चौलाई के लड्डू बनाकर उन्हें स्थानीय बाजार में बेचना शुरू किया। परिणाम सकारात्मक मिले तो बदरीनाथ धाम आने वाले यात्रियों को प्रसाद के रूप में चौलाई के लड्डू परोसने की मुहिम शुरू हुई। 
  • महिलाओं ने इस वर्ष 600 क्विंटल लड्डू तैयार कर उन्हें बाजार में पहुंचाया। इस बार यात्रियों की आमद बढ़ने के कारण ये लड्डू प्रसाद में खूब बिके। महिलाओं को इससे 2.52 लाख का शुद्ध मुनाफा हुआ।
  • किसानों से सीधे चौलाई खरीद कर बिचोलियों से बचा रही है। प्रधानमन्त्री के सपने के अनुरूप काम हो रहा है। प्रधान मंत्री पहला सपना है किसान बिचोलियों से बचें तथा उनकी आय दो गुनी हो।

जोशीमठ (संवाददाता) : चमोली जिले के सीमांत नगर जोशीमठ में छह साल पहले एक महिला ने चौलाई के लड्डू बनाने की जो पहल शुरू की थी, वह आज 50 से अधिक लोगों के रोजगार का आधार बन गई है। इतना ही नहीं, महिलाओं द्वारा तैयार इन लड्डुओं को देश-दुनिया के यात्री भी हाथों हाथ ले रहे हैं। अन्य मिठाइयों के मुकाबले दाम कम होने और स्थानीय उत्पाद से बने होने के कारण इन लडडुओं की बाजार में भी मांग बढ़ी है।

जोशीमठ ब्लॉक को चौलाई उत्पादन करने वाले अग्रणी क्षेत्रों में गिना जाता है। यहां प्रतिवर्ष 500 टन चौलाई का उत्पादन काश्तकार करते हैं। लेकिन, स्थानीय स्तर पर इसका व्यावसायिक उपयोग न होने के कारण काश्तकार बिचौलियों के हाथों औने-पौने दाम पर फसल बेचने को मजबूर रहते हैं। इसी को देखते हुए वर्ष 2012 में ब्लॉक के गणेशपुर गांव की धर्मा देवी ने चौलाई का उपयोग और इससे स्थानीय लोगों को रोजगार देने की दिशा में पहल की। धर्मा देवी को स्वयं सेवी संस्था हैस्को ने स्थानीय उत्पादों पर आधारित उद्योग लगाने की प्रेरणा दी थी। धर्मा देवी ने सबसे पहले अपने घर पर ही चौलाई के लड्डू बनाकर उन्हें स्थानीय बाजार में बेचना शुरू किया। परिणाम सकारात्मक मिले तो बदरीनाथ धाम आने वाले यात्रियों को प्रसाद के रूप में चौलाई के लड्डू परोसने की मुहिम शुरू हुई।

धर्मा देवी ने जय बदरी विशाल स्वयं सहायता समूह गठित कर इस कार्य में अन्य ग्रामीण महिलाओं का भी सहयोग लिया। वह बताती हैं, कि पहले चरण में उनके साथ सात परिवार जुड़े, लेकिन वर्तमान में 50 से अधिक परिवार चौलाई के लड्डू बनाने में जुटे हैं। इन परिवारों की महिलाएं लड्डू तैयार कर उन्हें बदरीनाथ धाम में प्रसाद की दुकानों में भेजती हैं। इनकी उन्हें 250 रुपये प्रति किलो कीमत मिल जाती है। भविष्य में इसका दायरा बढ़ाकर अन्य गांवों की महिलाओं को भी स्वयं सहायता समूहों से जोड़ने का विचार है। 

इस वर्ष अब तक बना चुकीं 600 क्विंटल लड्डू

महिलाओं ने इस वर्ष 600 क्विंटल लड्डू तैयार कर उन्हें बाजार में पहुंचाया। इस बार यात्रियों की आमद बढ़ने के कारण ये लड्डू प्रसाद में खूब बिके। महिलाओं को इससे 2.52 लाख का शुद्ध मुनाफा हुआ।

ग्रामीणों से खरीदते हैं चौलाई

जोशीमठ प्रखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र के गांवों में चौलाई का उत्पादन बहुतायत में होता है। ये महिलाएं सीधे काश्तकारों से चौलाई खरीदती हैं। इसका उन्हें बाजार भाव दिया जाता है। चौलाई के लड्डू बनाने के बाद महिलाएं स्वयं इनकी पैकिंग, मार्केटिंग व अन्य कार्य करती हैं।

किसानों से सीधे चौलाई खरीद कर बिचोलियों से बचा रही है। प्रधानमन्त्री के सपने के अनुरूप काम हो रहा है। प्रधान मंत्री पहला सपना है किसान बिचोलियों से बचें तथा उनकी आय दो गुनी हो।

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