देहरादून। संवाददाता। साल भर पर्यटकों को आकर्षित करने वाला उत्तराखंड अब पर्यटकों के बोझ तले कराह रहा है. माना जाता है कि 1.10 करोड़ की आबादी वाले उत्तराखंड में हर साल 50 लाख से ज्यादा पर्यटक आते हैं जो इसकी आबादी के आधे से भी ज्यादा हैं. इतने लोगों के लिए विशेष सुविधाएं तो छोड़िए इंफ्रास्ट्रक्चर तक उपलब्ध नहीं हैं. इसकी वजह से राज्य सरकार के इंतजाम फेल नजर आ रहे हैं. राज्य के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज भी कह रहे हैं कि मशहूर टूरिस्ट प्लेस पर उनकी कैरिंग कैपेसिटी से ज्यादा भार हो गया है इसलिए दिक्कतें हो रही हैं. वह कहते हैं कि बेहतर होगा कि सीधे चार धाम पहुंचने के बजाय पर्यटक दूसरी जगहों पर भी घूमते हुए आएं ताकि एक साथ बहुत ज्यादा भीड़ न हो और जरूरी सुविधाएं मिल पाएं।
पर्यटन स्थल मसूरी में हर साल बढ़ रही सैलानियों की संख्या
वीकेंड्स में तो हालत यह हो जा रही है कि लोग 4-5 घंटे में दिल्ली से देहरादून तो पहुंच जाते हैं लेकिन देहरादून से मसूरी पहुंचने में भी इतना ही समय लग रहा है. यही हाल नैनीताल और सभी महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों का है. ऐसे में यह भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या उत्तराखंड इतने सारे पर्यटकों की आमद के लिए तैयार नहीं है? क्या उत्तराखंड को पर्यटन की अपनी नीति बदलने की जरूरत है? पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि वक्त पुनर्विचार का है.
भीड़ से ढहीं व्यवस्थाएं
रुद्रप्रयाग में वाट्सऐप पर एक मैसेज वायरल हो रहा है जिसमें कथित रूप से राजस्थान की एक तीर्थयात्री ज्योति दधीच ने चारधाम यात्रा आने वाले तीर्थयात्रियों से किया यात्रा में न आने अनुरोध किया है. इस मैसेज में यात्रा, महंगाई, अव्यवस्था को लेकर कई सवाल उठाए गए हैं।