वन्यजीवों पर मंडरा रहा खतरा, सरकार की बढ़ी चिंता

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देहरादून। संवाददाता। चीन और नेपाल की सीमा से सटे 71 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में बढ़ते वन्यजीव अपराधों ने राज्य सरकार की चिंता बढ़ा दी है। इससे पार पाने के लिए उसने अब प्रदेश में वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो (डब्ल्यूसीसीबी) की ब्रांच खुलवाने के लिए केंद्र में दस्तक दी है। इस पहल के परवान चढ़ने पर न सिर्फ उत्तराखंड, बल्कि उत्तर प्रदेश, हिमाचल समेत अन्य राज्यों को भी लाभ मिलेगा। वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के मुताबिक केंद्र सरकार ने भी इसे माना है। उम्मीद है कि जल्द ही वह इस पर निर्णय लेगी।

छह नेशनल पार्क, सात अभयारण्य और चार कंजर्वेशन रिजर्व (संरक्षण आरक्षिति) वाले उत्तराखंड की वन्यजीव विविधता भी कम बेजोड़ नहीं है। हालांकि, इन संरक्षित क्षेत्रों में वन्यजीवों के संरक्षण के साथ ही इनकी सुरक्षा के लिए कदम भी उठाए गए हैं, लेकिन राज्य में सक्रिय शिकारियों- तस्करों के संजाल को तोड़ने में महकमा अब तक नाकाम ही रहा है। खासकर कुख्यात बावरिया गिरोहों ने नाक में दम किया हुआ है, जिनके निशाने पर कार्बेट से लेकर राजाजी नेशनल पार्क के बाघ, गुलदार व हाथी हैं।

संरक्षित क्षेत्रों में शिकार की अधिकांश घटनाओं में बावरिया गिरोहों की संलिप्तता की ही बातें सामने आती रही हैं। कई मौकों पर यह भी साबित हुआ है कि इन गिरोहों के तार सीमा पार बैठे माफिया से जुड़े हैं। यही नहीं, इन गिरोहों ने अब उच्च हिमालयी क्षेत्रों पर भी गिद्धदृष्टि गड़ा दी है। सीमांत जनपदों में समय-समय पर होने वाली वन्यजीव अंगों की बरामदगी इसे तस्दीक भी करती है।

इस सबके चलते सरकार की पेशानी में भी बल पड़े हैं। इसीलिए वह अब प्रदेश में डब्ल्यूसीसीबी की ब्रांच खुलवाने की कवायद में जुटी है। वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत के मुताबिक हाल में दिल्ली में केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से मुलाकात के दौरान उन्होंने यह प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में डब्ल्यूसीसीबी का उत्तर क्षेत्र कार्यालय उत्तराखंड को भी देखता है, लेकिन उस पर तमाम राज्यों की जिम्मेदारी है। फिर वन्यजीव सुरक्षा के लिहाज से उत्तराखंड ज्यादा संवेदनशील है।

डॉ.रावत के मुताबिक उत्तराखंड न सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगा है, बल्कि उसकी कार्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व से लगी उत्तर प्रदेश से लगी सीमा भी खासी संवेदनशील है। पूर्व में इन टाइगर रिजर्व में हुई शिकार की घटनाओं को अंजाम देने वाले बावरिया गिरोह उप्र की सीमा से सटे इलाकों में ही डेरा डाले हुए थे। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूसीसीबी की ब्रांच उत्तराखंड में खुलने से आसपास के राज्यों में भी वन्यजीव अपराधों पर नकेल कसने में मदद मिलेगी।

 

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