राजकीय इंटर कालेज सूखीढांग में सामान्य वर्ग के बच्चों के अनुसूचित जाति की भोजन माता के हाथ से बनाया खाना नहीं खाने का मामला तूल पकड़ गया है। मामले में जांच अधिकारी बनाए गए उपखंड शिक्षा अधिकारी कालेज के प्रधानाचार्य से पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की। 22 दिसंबर को विवाद में शामिल प्रधानाचार्य व अभिभावक संघ पक्ष को बयान दर्ज करने के लिए चम्पावत बुलाया गया है।
सूखीढांग इंटर कालेज में 60 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। इनमें सामान्य वर्ग के 40 और अनुसूचित जाति के 20 छात्र-छात्राएं हैं। पूर्व में यहां भोजन माता के रूप में कार्यरत शकुंतला देवी के 60 वर्ष की उम्र पूर्ण होने के बाद शिक्षक-अभिभावक संघ (पीटीए) और विद्यालय प्रबंध समिति (एसएमसी) की बैठक हुई। इसमें परित्यक्ता पुष्पा भट्ट को भोजन माता के रूप में नियुक्त करने का निर्णय लिया गया था। पीटीए का आरोप है कि प्रधानाचार्य प्रेम आर्या ने पीटीए और एसएमसी की बैठक में पारित प्रस्ताव के उलट सुनीता देवी को भोजन माता के रूप में तैनात कर दिया।
शनिवार को मामला उस समय तूल पकड़ गया जब सामान्य वर्ग के अभिभावक स्कूल पहुंचे और उन्होंने इस बात पर हंगामा किया। यही नहीं शनिवार को सामान्य वर्ग के बच्चों ने भोजन माता सुनीता देवी के हाथों बना खाना खाने से इन्कार कर दिया। मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्य शिक्षा अधिकारी आरसी पुरोहित ने उपखंड शिक्षा अधिकारी अंशुल बिष्ट को पूरे प्रकरण की जांच के आदेश दे दिए।
सोमवार को जांच अधिकारी ने प्रधानाचार्य से घटना की विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। पीटीए अध्यक्ष नरेंद्र जोशी एवं अन्य अभिभावकों का कहना है यह भेदभाव का मामला नहीं बल्कि प्रधानाचार्य की मनमानी से संबंधित है। पीटीए और एसएमसी की बैठक में नाम फाइनल होने के बाद भी प्रधानाचार्य ने नियमों को ताक पर रखते हुए नियुक्ति की है।