छात्रों के जरिए परिसरों तक पैठ बनाने में जुटी भाजपा, नियोजित एजेंडे के तहत बढ़ रही आगे

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उत्तराखंड में छात्र संघ चुनावों को लेकर तस्वीर भले ही धुंधली हो, लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव के दृष्टिगत भाजपा छात्रों के माध्यम से परिसरों तक पहुंच बनाने की जुगत में जुट गई है। इसके लिए वह नियोजित एजेंडे के तहत आगे बढ़ रही है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जरिये पार्टी छात्रों के बीच है और यह संगठन भाजपा की विचारधारा को ही प्रवाहित करता है।

कोरोना संकट के कारण राज्य के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में छात्र संघ चुनाव नहीं हो पाए। अब जबकि परिस्थितियां नियंत्रण में हैं तो तब भी छात्र संघ चुनावों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है, लेकिन छात्रों का साथ लेने के लिए भाजपा ने मुहिम तेज कर दी है। यही वजह है कि अभाविप भी छात्र संघ चुनावों की पैरवी कर रहा है और भाजपा संगठन व सरकार ने इससे इनकार भी नहीं किया गया है। ये बात अलग है कि आधे सत्र के लिए छात्र संघ चुनाव शायद ही हों।

बावजूद इसके छात्रों का साथ लेने के लिए परिसरों पर भाजपा ने खास ध्यान केंद्रित किया है। यह किसी से छिपा नहीं है कि संगठन के मामले में भाजपा का कोई सानी नहीं है। परिसरों में छात्रों के बीच कार्य कर रहे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के माध्यम से वह अपनी मुहिम में जुटी है। इसके जरिये परिसरों में भाजपा अपना धरातल और सशक्त कर रही है।

सूत्रों के मुताबिक इस संबंध में पार्टी पदाधिकारियों को जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं, जो परिषद के पदाधिकारियों के निरंतर संपर्क में हैं। इसके पीछे मंशा यही है कि ज्यादा से ज्यादा छात्रों को परिषद से जोड़ा जाए, ताकि आगामी विधानसभा चुनाव में उनका सक्रिय सहयोग लिया जा सके।वैसे भी भाजपा ने युवा मुख्यमंत्री युवा उत्तराखंड का नारा दिया है तो उसकी इस मुहिम को इसी कड़ी के हिस्से के तौर पर देखा जा रहा है। सूत्रों के अनुसार सरकार की ओर से शिक्षा और रोजगार के विषयों पर लिए गए निर्णयों की जानकारी भी परिषद के माध्यम से छात्रों को दी जा रही है। साथ ही आगामी योजनाओं की जानकारी भी साझा की जा रही है। पार्टी को उम्मीद है कि उसकी यह पहल युवाओं के बीच पैठ बनाने में ज्यादा कारगर साबित होगी।

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