जम्मू-कश्मीर : जम्मू-कश्मीर में जनजीवन सामान्य हो गया है और कहीं से किसी अप्रिय घटना के समाचार नहीं हैं, यह कोई सरकारी बयान नहीं बल्कि आज के समय में कश्मीर की हकीकत है। जो लोग 35-ए और अनुच्छेद 370 से छेड़छाड़ होने पर घाटी में रक्तपात हो जाने की चेतावनियां देते थे उन्हें यह देखना चाहिए कि जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा पांच अगस्त को समाप्त किये जाने के बाद से वहां आये दिन होने वाले आतंकवादी हमले लगभग बंद हो गये हैं, दुनिया में भले तरह-तरह की बातें फैलायी जा रही हों लेकिन पांच अगस्त के बाद पुलिस की गोलीबारी में एक भी व्यक्ति की जान नहीं गई है। राज्य में स्वास्थ्य, शिक्षा और परिवहन सहित सभी जरूरी नागरिक सेवायें सुचारू रूप से चल रही हैं, बच्चे स्कूल जा रहे हैं, विद्यालयों और महाविद्यालयों में परीक्षाएँ चल रही हैं तथा छात्रों की 98 प्रतिशत से अधिक उपस्थिति है।
घाटी में छात्रों की आवाजाही पर कोई पाबंदी भी नहीं लगायी गयी है, सभी जिलों में बस समेत सभी जरूरी परिवहन सेवाएं सुचारू रूप से चल रही हैं। जम्मू-कश्मीर में सभी समाचार पत्रों का प्रकाशन हो रहा है और टीवी चैनल काम कर रहे हैं तथा अखबारों के वितरण में कोई कमी नहीं आई है। बर्फबारी से प्रभावित इलाकों में वायुसेना द्वारा बीमार लोगों या गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुँचाया जा रहा है, कश्मीर घाटी की लाइफलाइन कही जाने वाली बनिहाल-श्रीनगर-बारामुला ट्रेन पटरी पर तेज गति से दौड़े चली जा रही है। इस ट्रेन सेवा से विशेष रूप से दैनिक यात्री और छात्र बहुत खुश हैं। वहीं गुलमर्ग जाने वाले पर्यटकों के लिए तो यह ट्रेन सेवा सोने पर सुहागा बन गयी है। कश्मीर को खुशहाल देख पूरा देश खुश होता है और जम्मू-कश्मीर की खुशी के लिए सिर्फ राज्य ही नहीं देश ने भी अनेकों कुर्बानियां दी हैं।
आइए जरा आपको लिये चलते हैं जम्मू-कश्मीर के सफर पर और जानते हैं वहां का ताज़ा सूरत-ए-हाल। कश्मीर के बाजारों की रौनक की बात ही कुछ और है लेकिन कुछ अशांति पसंद लोग इस रौनक के सबसे बड़े दुश्मन हैं और चाहते हैं कि कश्मीरियों का व्यापार ठप हो जाये और राज्य की अर्थव्यवस्था चरमरा जाये इसके लिए यह हर तरह के हथकण्डे अपनाते हैं। पहले इन लोगों की धमकियों के चलते सिर्फ सुबह और शाम को दुकानें खुल रही थीं लेकिन शांति और स्थिरता के प्रति विश्वास बढ़ जाने पर जैसे ही कश्मीरियों ने दुकानें पूरे दिन के लिए खोलीं, इन अलगाववादियों के सीने जलने लगे और घाटी के कुछ इलाकों में पोस्टर लगा दिये गये जिसमें दुकानदारों को अपनी दुकानें खोलने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी गयी थी। नतीजा यह हुआ कि दुकानदार डर से घर बैठे रहे। अलगाववादियों और पाकिस्तान परस्त कुछ लोगों को यह समझना होगा कि उनकी हरकतें अब ज्यादा दिन कामयाब होने वाली नहीं हैं। जो लोग प्रवासी मजदूरों को धमका कर भगाने में कामयाब हो रहे हैं उन्हें यह पता होना चाहिए कि इससे असल मुश्किल कश्मीरियों को ही हो रही है जिन्हें खेतों और अन्य कामों के लिए मजदूर बड़ी मुश्किल से मिल रहे हैं और जो मिल रहे हैं वह महँगे हैं।